शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) द्वारा एक कंडक्टर को सेवा से हटाने के फैसले को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चैेहान ने रमेश कुमार को एचआरटीसी द्वारा सेवा से हटाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।
दरअसल याचिकाकर्ता को शुरू में 14 जुलाई 1983 को एचआरटीसी में दैनिक वेतन के आधार पर कंडक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में 10 मार्च 1984 को उनकी सेवाएं नियमित कर दी गईं। 29 जुलाई 1991 को 10998 रुपये की राशि का गबन करने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। इस मामले की जांच पूरा होने के उपरांत 23 जून 1994 को एचआरटीसी ने याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने का आदेश दिया।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी कंडक्टर के लिए निगम के राजस्व का दुरुपयोग करने की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसा नहीं है कि सेवा के दौरान हर समय और हर जगह हर कंडक्टर के साथ एक चैकीदार या जांच अधिकारी होता है। यह पैसे की मात्रा नहीं है, जो बस कंडक्टर के खिलाफ हेराफेरी के आरोप की गंभीरता का गठन कर सकता है। जो प्रासंगिक है वह है कंडक्टर का दिमाग, जिससे एचआरटीसी को गलत तरीके से नुकसान होता है और खुद के लिए गलत लाभ होता है, जो कि राज्य के स्वामित्व वाले परिवहन निगम में बस कंडक्टर के खिलाफ अपराध की खोज को दर्ज करने के लिए पर्याप्त है।
अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) द्वारा उसे सेवा से हटाने के खिलाफ दायर याचिका में कोई योग्यता नहीं पाई और उसे खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने खारिज की एचआरटीसी से निकाले गए कंडक्टर की याचिका

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