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राजकुमारी दीया सिंह बोलीं- ताजमहल हमारी मिल्कियत, स्वरा भास्कर ने बताया बकवास; मिले ऐसे जवाब

राजकुमारी दीया सिंह बोलीं- ताजमहल हमारी मिल्कियत, स्वरा भास्कर ने बताया बकवास; मिले ऐसे जवाब

ताजमहल के बंद दरवाजों को खोलने की मांग को लेकर दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। लेकिन सोशल मीडिया पर ये मुद्दा पिछले कई दिनों से काफी गरमाया हुआ है। बीतें दिनों स्वरा भास्कर ने ट्विटर पर राजस्थान की भाजपा सांसद राजकुमारी दीया सिंह का एक वीडियो शेयर किया था।

वीडियो में दीया ताजमहल को उनकी मिल्कियत बता रही थी। दीया के बयान को स्वरा ने बकवास बताया था। एक्ट्रेस के इस ट्वीट पर तमाम लोगों ने रिएक्शन दिए हैं।

वीडियो में दीया कहती दिखीं कि ‘ताजमहल की जमीन हमारे वंशजों की थी, ताजमहल ‘तेजो महल पैलेस’ था जिस पर शाहजहां ने कब्जा किया था’। इसे शेयर करते हुए स्वरा ने लिखा,”निरंतर बकवास!” किसी ने ताजमहल विवाद का विरोध किया तो किसी ने स्वरा के कैप्शन को लेकर उनकी खिंचाई की।

 

इंजिनीयर जामिल खान ने लिखा,”ये बात ठीक उसी तरह है कि देश को RSS ने अंग्रेजों से मिलकर आजाद कराया था।” डब्बू फौजदार ने लिखा,”तुम उसके सामने कुछ भी नहीं हो। वो उस राजघराने की राजकुमारी है जिसके पूर्वजों ने मुगलों के खिलाफ अनेक युध्द लड़े।” अफ्फान सूफियान खान ने लिखा,”ताज आज तो बना नहीं है। अभी तक क्यों आपके पूर्वजों ने कभी कोई दावा नहीं किया। और आप भी अभी तक कहां सो रही थीं। झूठ की भी हद होती है।”

ये है मामला: भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका दर्ज की गई थी, जिसमें याची ने दावा किया कि ताजमहल के बंद दरवाजों के पीछे भगवान शिव का मंदिर है। याची ने इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी द्वारा इसकी जांच और बंद पड़े ताजमहल के लगभग 22 दरवाजों को खोलने की अपील की थी।

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हालांकि 12 मई को याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इसे खारिज कर दिया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार भी लगाई है। कोर्ट ने कहा कि जाकर पहले रिसर्च करिए। पढ़िए, एमए और पीएचडी करिए…अगर कोई ऐसे विषय पर रिसर्च में दाखिला देने से मना करे, तब वह कोर्ट के पास आएं।पीआईएल का दुरुपयोग ना करें: कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कहा है कि आप जनहित याचिका (पीआईएल) व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। ताजमहल किसने बनवाया पहले जाकर रिसर्च करिए। विश्वविद्यालय जाइए। पीएचडी करिए…पढ़ाई के बाद कोर्ट आइएगा। अदालत ने ये भी सवाल उठाया कि क्या इतिहास याचिकाकर्ता के मुताबिक पढ़ा जाएगा? अब याचिका दायर करने वाले भाजपा नेता का कहना है कि वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे।

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