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ढांग निहली में वृंदावन से आई कथावाचक ने अश्वथामा के चरित्र का वर्णन किया

ढांग निहली में वृंदावन से आई कथावाचक ने अश्वथामा के चरित्र का वर्णन किया

प्रवीण शर्मा प्रचंड समय बददी )। ढ़ांग उपरली के ग्रामीणों की ओर सा ओयोजित भागवत के दूसरे दिन अश्वथामा का प्रसंग लोगों को सुनाया गया। वृंदावन से आए विनी किशोरी ने अपने प्रवचनों और भजनों से भाव विभोर कर किया। उन्होंने बताया द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा ने द्रोपती के पांचों पुत्रों के सिर काट दिए थे। और दुर्योदन के पास ले गए थे। दुर्योदन ने भी इसके इस कृत्य उसकी अलोचना की। पांडवों को जब इस बात का पता चला तो अर्जुन उसे पकड़ कर दोप्रदी के पास लेकर आए। द्रोपती ने कहा कि द्रोणाचार्य पंाडवों के गुरू थे। यह ब्राहमण का बेटा है। इसलिए इसको मारा नहीं जा सकता। अगर यह मारा जाता को यह ब्रह्म हत्या लगेगी जो सही नहीं है। संसार को इसकी गलती अहसास दिलाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने इसके माथे की मणि निकाली और उसे जिंदा छोड़ दिया। जिससे उसे सारी उम्र यह अहसास होता रहे कि उसने यह घटिया कार्य किया था। जिसकी उसे सजा मिली है। इस प्रकार पांडव ब्रह्म हत्या से भी बच गए और अश्वथामा को सजा भी मिल गई।
कथा वाचक विनी किशोर ने भगवान शिव भोले के परिवार के भी वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव के परिवार के सभी सदस्य विपरित स्वभाव के थे। और अलग अलग वाहनों की सवारी करते थे। उसके बावजूद भी सभी मिल जुल कर रहते थे। इसे हर मनुष्य जीवन में धारण करना चाहिए। चाहे हमारे परिवार को विपरित स्वभाव का सदस्य आ जाए तो भी सभी को मिलजुल कर रहना चाहिए। किसी से कोई घृणा नहीं करनी चाहिए। इस मौके पर विजयानंद भारती, मास्टर विजय सिंह, इंद्रजीत सिंह, मास्टर सदा राम, सतनाम सिंह, राजेंद्र सिंह, कर्मजीत सिंह, मनी सिंह, राम दयाल, चमन लाल, मोहन सिंह समेत दर्जनों उपस्थित रहे।

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