रंगमंच की पाठशाला के रूप में विख्यात उतरी भारत का एकमात्र संस्थान हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान रंगमंडल एवं नाटय अकादमी सतोहल द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं भाषा-संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के सौजन्य से आयोजित तीन दिवसीय नाटय रंगमहोत्सव का सोमवार को समापन्न हो गया। इस अवसर पर महाकवि भास द्वाारा रचित नाटक मध्यमव्यायोम एवं हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित नाटक भोला राम का जीव का मंचन किया गया। मध्यमव्यायोम नाटक का निर्देशन गोविंद महतो द्वारा छाऊ शैली में किया गया। जिसमें दूत घटोत्कच्छ की भूमिका कश्मीर सिंह ने निभाई। जबकि भीम के रोल में अवनीश ने प्रभावित किया। वहीं पर शुभम, अंकित, दीपक और रिया आदि ने भी अपने-अपने पात्रों को मंच पर जीवंत कर दिया। इसके अलावा भोला राम का जीव नाटक में यमराज की भूमिका में बंटी, चंद्रगुप्त के रूप में अंकित, विदूषी के रोल मे सुमन, नारद के रूप में शुभम, मां की भूकिमा में शावनी, बेटी के रूप में रिया और आसा राम के रूप में शंकर तथा भोलाराम का जीव के रोल में निशांत ने अभिनय किया।
वहीं पर संगीत पक्ष में शिवा और सीमा की भूमिका अहम रही। नाटय अकादमी की सचिव सीमा शर्मा ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर इस तरह के महोत्सव का आगाज किया गया। जिसमें हिमाचली और विश्व स्तरीय लेखकों की रचनाओं का मंचन किया गया। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय रंगमहोत्सव के पहले दिन हिमाचल के मशहूर लेखकों मुरारी शर्मा की कहानी प्रीतो नदी हो गई और स्वं. नरेश पंडित की कहानी झुनझुना का सफल मंचन किया गया। दूसरे दिन चेखव की कहानी द बर्थडे प्रेजेंट एवं मौलियर की कहानी के हिंदी नाट्य रूपांतर आदाब अर्ज है और तीसरे व अंतिम दिन महाकवि भास् के मध्यमव्यायोम और हरिशंकर परसाई के भोलाराम का जीव का मंचन किया गया। उन्होंने बताया कि अकादमी का यह प्रयास रहा है कि ग्रामीण स्तर पर इस तरह की कार्यशालाएं लगाकर ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जाए। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय नाट्य रंगमहोत्सव में नाटकों पर चर्चाओं और समीक्षा का भी आयोजन किया गया। जिसमें पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं रंगसमीक्षक श्रीनिवास जोश व देवेंद्र गुप्ता के अलावा डा. विजय विशाल, कवि-कथाकार रेखा वशिष्ठ, डा. गंगाराम राजी आदि ने भी अपने विचार रखे।
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