हरियाणा में राज्यसभा की दूसरी सीट भी हथियाने की तैयारी में है भाजपा
राजेंद्र सिंह जादौन
चंडीगढ़, 21मई। हरियाणा की दो राज्यसभा सीटों पर आगामी दस जून को होने वाले चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा वर्ष 2016मे कराए गए इन दो सीटों के चुनाव की तरह विपक्ष का खेल बिगाड़ सकती है।
इस बार फिर राज्यसभा की इन दो सीटों के चुनाव भाजपा की तिरछी नजर है। विधायकों के संख्या बल के हिसाब से एक सीट भाजपा-जजपा गठबंधन तो दूसरी सीट कांग्रेस के खाते में आती है, लेकिन भाजपा की योजना दोनों सीट हथियाने की है।जानकार सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हरियाणा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ रणनीति बनाने में जुट गर हैं। कांग्रेस से नाराज चल रहे आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई समेत कुछ और विधायकों को यदि भाजपा अपने रंग में रंगने में कामयाब हो जाती है तो राज्यसभा की दोनों सीटों पर उसकी मजबूत दावेदारी बन सकती है।हरियाणा विधानसभा में विधायकों की संख्या 90 है, जबकि यहां से पांच राज्यसभा सदस्य चुनकर जाते हैं। फिलहाल दो सदस्यों भाजपा के दुष्यंत कुमार गौतम और भाजपा समर्थित निर्दलीय सांसद सुभाष चंद्रा का कार्यकाल पूरा हो रहा है।इन दोनों के स्थान पर चुनाव होने जा रहे हैं, जबकि तीन राज्यसभा सदस्यों कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा, भाजपा के डीपी वत्स और भाजपा के ही रामचंद्र जांगड़ा का कार्यकाल अभी बाकी है। राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम की सिफारिश करने में ओमप्रकाश धनखड़ और मनोहर लाल की अहम भूमिका रहने वाली है। धनखड़ तो यहां तक संकेत दे चुके हैं कि तमाम तरह के समीकरण को ध्यान में रखते हुए हाईकमान के पास प्रत्याशियों के नाम का पैनल भेजा जाएगा, जबकि मनोहर लाल ने शुक्रवार को कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई को अपना मित्र बताते हुए कहा कि ऐसे मित्र बहुत से हैं।
संख्या बल और तमाम समीकरण के आधार पर भाजपा तय करेगी कि वह एक ही सीट पर चुनाव लड़े अथवा दोनों पर अपनी दावेदारी ठोंके। पिछली बार हुए राज्यसभा की दो सीटों के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का वोट खराब हो गया था, जबकि उनके समर्थक कांग्रेस विधायकों के पेन की स्याही बदल गई थी, जिस कारण इनेलो व कांग्रेस के साझा उम्मीदवार आरके आनंद चुनाव हार गए थे और भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा चुनाव जीत गए थे। इस बारे के चुनाव में धनखड़ और मनोहर लाल की जो़ड़ी कोई न कोई गुल खिलाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी।
राज्यसभा चुनाव में हर राज्य के विधायकों की संख्या के आधार पर जीत होती है। राज्यों की कुल विधानसभा सीटों के आधार पर यह तय किया जाता है कि जीतने के लिए कितने वोट की आवश्यकता होगी। उदाहरण के तौर पर हरियाणा में कुल 90 विधायक हैं और अगर यहां 2 सीटों पर राज्यसभा चुनाव है तो कुल 90 सीटों में निर्वाचित होने वाले सदस्यों की संख्या में एक जोड़कर यानि 2 में एक जोड़कर भाग देते हैं।
इसका मतलब 90 भाग 3 और उसके बाद उसमें एक जोड़ दिया जाता है, यानि जीत के लिए 31 वोट आवश्यक है। विधायक को अपनी वोट में बताना होता है कि उम्मीदवारों में पहली पसंद कौन है और फिर दूसरी और तीसरी पसंद कौन है। राज्य में भाजपा के 40 विधायक हैं, जिसे 10 जजपा, छह निर्दलीय, एक हलोपा विधायक का समर्थन प्राप्त है। एक निर्दलीय विधायक बागी है। एक इनेलो विधायक है और कांग्रेस विधायकों की संख्या 31 है।
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