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मोहम्मद पर टिप्पणी विवाद पर वेबीनार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के एडवोकेट और सामाजिक कार्यकर्ता वीर बहादुर वर्मा ने कहा है कि मोहम्मद पर भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद उन्हें हत्या और रेप की धमकी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह गम्भीर अपराध है। उन्होंने कहा कि कुरान, हदीस या अन्य किसी धार्मिक ग्रंथ में लिखी बातों को सार्वजनिक तौर पर दोहरा देना कानूनन अपराध कैसे हो सकता है?
कार्यक्रम की संयोजक और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर सवीना जहां के अनुसार वीर बहादुर वर्मा मानवाधिकार जागरूकता पर उमंग फाउंडेशन के वेबिनार में “मोहम्मद पर टिप्पणी के संदर्भ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार” विषय पर बोल रहे थे।
वीर बहादुर वर्मा ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सभी नागरिकों को प्राप्त है। लेकिन संविधान ने इस पर तर्कसंगत अंकुश भी लगाए हैं। किसी व्यक्ति, समुदाय, जाति, मजहब, महापुरुषों या राष्ट्रीय प्रतीकों पर जानबूझकर अपमान करने के इरादे से की गई टिप्पणियां अपराध की श्रेणी में आती हैं।मानवाधिकारों पर उमंग फाउंडेशन का यह 38वां साप्ताहिक वेबिनार था। इसमें 50 से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया।
वीर बहादुर वर्मा का कहना था कि संविधान निर्माताओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहुत ऊंचा दर्जा दिया था। लेकिन जब महसूस किया गया कि इसका दुरुपयोग भी हो सकता है तो उस पर संविधान संशोधन कर तर्कसंगत अंकुश भी लगाए गए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए बोलने की आजादी बहुत जरूरी है। संवाद के बिना कोई भी परिवार, समाज और राष्ट्र बौद्धिक उन्नति नहीं कर सकता।
नूपुर शर्मा द्वारा मोहम्मद पर की गई टिप्पणियों के बारे में उन्होंने कहा कि टीवी डिबेट में पूर्व भाजपा प्रवक्ता ने जो कुछ कहा वह इस्लाम के मान्यता प्राप्त ग्रंथों में लिखा है। एक पैनलिस्ट द्वारा उकसाया जाने पर नूपुर शर्मा ने उसी को दोहरा दिया। जबकि उनका उद्देश्य किसी मजहब या उसके पैगंबर को अपमानित करना नहीं लगता। अब न्यायालय इस पर फैसला करेगा।
उन्होंने कहा कि कानून शब्दों के साथ यह भी देखता है कि वक्तव्य देने वाला क्या किसी मज़हब का अपमान करना या समुदाय विशेष को हिंसा के लिए उकसाना  चाहता है? जबकि उसी डिबेट में एक मुस्लिम  पैनलिस्ट बार-बार भगवान शिव के लिए अपमानजनक टिप्पणियां कर रहा था।
वीर बहादुर वर्मा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर संवैधानिक प्रावधानों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई फैसलों का भी उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि इस विवाद के बाद नूपुर शर्मा को सामूहिक बलात्कार और हत्या की धमकी देना किसी भी तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में नहीं आता। यह गम्भीर अपराधिक कृत्य है। बोलने की आजादी की आड़ में हिंसा भड़काने वालों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
कार्यक्रम के संचालन में विनोद योगाचार्य, मीनाक्षी शबाब, अनुराधा, उदय वर्मा और संजीव शर्मा ने सहयोग दिया।

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