अतिरिक्त उपायुक्त सोलन ज़फ़र इकबाल ने कहा कि जल संरक्षण सभी का नैतिक कर्तव्य तथा सामूहिक उत्तरदायित्व है तथा इस दिशा में समस्त विभागों के सार्थक प्रयास की नितांत आवश्यकता है। अतिरिक्त उपायुक्त सोलन आज यहां जल शक्ति अभियान-‘कैच दी रेन’ के अन्तर्गत विभिन्न विभागों की जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
ज़फ़र इकबाल ने कहा कि जल जीवन के लिए नितांत आवश्यक है और जल का संरक्षण वर्तमान समय की मांग है। उन्होंने कहा कि जल की एक-एक बून्द को बचाकर और जल का सदुपयोग कर ही हम भावी पीढ़ी को उपयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध करवा पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकारी एवं प्रशासनिक प्रयासों के साथ-साथ आमजन की भागीदारी की भी आवश्यकता है।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि यह अभियान पूर्णतया डिजिटल इंडिया की सोच पर आधारित है। उन्होंने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को जिला में पारम्पारिक एवं अन्य जल स्त्रोतों की जीआईएस मैपिंग सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जीआईएस मैपिंग से जहां पारम्पारिक एवं अन्य जल स्त्रोतों के वास्तविक उद्गम जल स्थल की जानकारी ही नहीं मिलेगी अपितु इनके संरक्षण में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने इस अभियान के तहत विभिन्न विभागों द्वारा किए गए कार्यों की जियो टैगिंग करवाने के निर्देश दिए।
उन्होंने वर्षा जल संग्रहण के लिए सभी सरकारी भवनों, पंचायत घरों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, विद्यालयों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित अन्य सरकारी भवनों के समीप जल सरंक्षण टैंक निर्मित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी विभाग अपने भवनों के प्रांगण में भूमि की उपलब्धता एवं भवन की सुरक्षा को ध्यान में रखकर जल संरक्षण पिट बनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी प्रदेश है जहां पर प्रचूर मात्रा में वर्षा जल उपलब्ध है और इसका संरक्षण प्रदेश को भविष्य के जल संकट से निजात दिला सकता है।
अतिरिक्त उपायुक्त ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला के भू-कटाव सम्भावित क्षेत्रों एवं नदी-नालों के समीप अधिक से अधिक पौध-रोपण सुनिश्चित करें ताकि कृषि योग्य भूमि के कटाव को रोकने के साथ-साथ जल संरक्षण भी सुनिश्चित हो सके।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों तथा आमजन की सुविधा के लिए विभाग द्वारा जल शक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता कार्यालय में जल शक्ति परामर्श केंद्र स्थापित किया गया है। परामर्श केंद्र में जाकर लोग ‘कैच दी रेन’ तथा जल संरक्षण की वैज्ञानिक तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में गुणवत्ता नियंत्रण मानकों का ध्यान रखा जाना भी आवश्यक है।
बैठक में जिला में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में इस अभियान के अंतर्गत अधिक कार्य करने और पारंपारिक जल स्त्रोतों के संरक्षण और संवर्धन पर चर्चा की गई। उन्होंने जल शक्ति विभाग, राजस्व विभाग, ग्रामीण विकास विभाग तथा वन विभाग की गठित की गई संयुक्त कार्यकारी समिति को आपसी समन्वय से कार्य करने के निर्देश दिए।
बैठक के दौरान जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी राजकुमार ने बैठक की कार्यवाही का संचालन करते हुए जानकारी दी कि जिला में जल संरक्षण के तहत 09 चेक डैम का कार्य पूर्ण हो चुका है तथा 11 चेक डैम का कार्य प्रगति पर है इसी तरह 154 रिसाव टैंक का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है तथा 156 रिसाव टैंकों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत जिला में 110 अमृत सरोवर चिन्हित किए गए हैं जिनमें से 98 स्वीकृत किए जा चुके हैं और इनमें से 91 का निर्माण कार्य पूर्ण कर के पोर्टल पर अपलोड भी किया जा चुका है।
इस अवसर पर जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी राजकुमार, जिला राजस्व अधिकारी आत्माराम नेगी, जल शक्ति विभाग नालागढ़ के अधिशाषी अभियंता पुनीत शर्मा, जल शक्ति विभाग सोलन के अधिशाषी अभियंता रविकांत शर्मा, अधिशाषी अभियन्ता बी.बी गोयल, ज़िला पर्यटन अधिकारी रती राम तथा खंड विकास अधिकारी सोलन रमेश शर्मा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
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