रतन चंद ‘रत्नेश’
किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि हिमाचल के नये मुख्यमंत्री अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जैसे शक्तिशाली साबित होंगे। कहां वह अरबों-करोड़ों डाॅलर का मालिक अमेरिका का धाकड़ बिजनेसमैन और कहां गिरते हुए रुपए वाले देश का दूध बेचने वाला एक छोटे से राज्य का किसान का बेटा परंतु कहते हैं न कि जिसमें प्रतिभा हो, वह किसी की भी बराबरी कर सकता है। हमारे यहां के चाय-दूध बेचने वाले पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प जब तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे, पूरी दुनिया की निगाहें उन पर टिकी रहती थीं। खासकर शेयर बाजार उनकी बोल-वाणी पर ही विशेष हरकतें करता था। कभी कुछ ऐसा बोल जाते कि दुनिया भर के शेयर बाजारों में हरियाली ही हरियाली नज़र आने लगती तो कभी उनके नकारात्मक टिप्पणी करते ही हमारे सेंसेक्स सहित सभी बाजार लाल रंग में रंग जाते। कुछ ऐसे ही लक्षण हिमाचल के मुख्यमंत्री सुक्खू में भी दिखने लगे हैं।
किसी बाजार-विशेषज्ञ का कहना है कि जिस दिन सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कुर्सी संभाली, बाजार गुलजार था परंतु कुछ ही दिन बीते कि सेंसेक्स गिरना शुरु हो गया। परिणाम यह निकला कि घरेलू निवेशकों में घबराहट शुरू हो गई। दरअसल बाजार-विशेषज्ञ यह बात चालाकी से छुपा गए कि सेंसेक्स लगातार एक-सा नहीं रहता बल्कि वह चढ़ता-उतरता रहता है। ऐसे में धैर्य न रख पानेवाले निवेशक घबराकर शेयर बेचना शुरू कर देते हैं जबकि समझदार ऐसे मौकों का फायदा उठा ले जाते हैं। जैसे कि अमेरिका में मंदी की आशंका में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारत में अच्छी-खासी खरीदारी की।
मुख्यमंत्री सुक्खू जी के सेंसेक्स से संबंध वाले मामले में हमने भी थोड़ी छानबीन और शोध किया तो पता चला कि मुख्यमंत्री जब-जब अपने गृह-राज्य में रहेंगे सेंसेक्स ऊपर रहेगा और जैसे ही वे हिमाचल से बाहर जाएंगे, शेयर बाजार गिरेगा। ट्रम्प की तरह विश्व बाजार की निगाहें अब सुखविंदर सिंह सुक्खू पर टिकी रहेंगी और उनके हिमाचल से बाहर होते ही सेंसेक्स का ग्राफ नीचे आता रहेगा। खुदरा निवेशकों से मेरी राय यही है कि मुख्यमंत्री के बाहर रहने के दिनों में वे कतई न घबराएं और धैर्य रखें बल्कि जमापूंजी हो तो शेयर बाजार में निवेश कर दें। मुख्यमंत्री अपना अधिकतर समय हिमाचल में ही गुजारेंगे। बाहर गए भी तो दो-चार दिनों में लौट आएंगे और वही मौका होगा पैसे से पैसे बनाने का
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