शिमला, 08 फरवरी
प्रधानमंत्री के लोकल के लिए वोकल दृष्टिकोण के तहत हिमाचल प्रदेश में अप्रैल मई माह में आयोजित होने वाली जी 20 की बैठक में राज्य के विभिन्न जिलों के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा । यह विचार आज मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार प्रबोध सक्सेना ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा होटल होलीडे होम में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राज्य ऋण गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अपने सम्बोधन में कही ।
उन्होंने मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के तहत नाबार्ड से राज्य में डैरी किसानों की आर्थिकी को सुदृड़ करने तथा प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आगे आने की अपील की । उन्होंने नाबार्ड की प्रशंसा करते हुए कहा कि नाबार्ड व हिमाचल सरकार के परस्पर मजबूत साझेंदारी के कारण व्यापक रूप से राज्य में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में सक्षम हुआ है । उन्होंने एफपीओज और कृषि ऋण के सम्बध में चिन्ता प्रकट करते हुए ग्रामीण युवाओं में जोखिम से बचने और उद्यमिता कौशल की कमी के कारण ऋण जमा अवधि अनुपात के कम होने पर भी चिन्ता व्यक्त की ।
उन्होंने विश्वास जताया कि प्रदेश सरकार व नाबार्ड की सक्रीय साझेदारी से महिलाओं के स्वंय सहायता समूहों को मजबूत कर महिला सशक्तिकरण की सुदृड़ता, जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम, जलागम प्रबन्धन, और विभिन्न अन्य पहलूओं के माध्यम से राज्य में वर्षा आधारित कृषि को बढ़ावा मिलेगा ।
मुख्य सचिव ने नाबार्ड स्टेट फोकस पेपर 2023-24 नाबार्ड इन हिमाचल लो काॅस्ट टैक्नाॅलोजी माॅडल एण्ड सक्सेस स्टोरीज और फार्म सेक्टर परमोशन फण्ड- इंटरवेन्शन इन हिमाचल प्रदेश पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया ।
सेमीनार में सचिव वित योजना, अर्थ शास्त्र एवं सांख्यिकी विभाग अक्षय सूद ने राज्य में ग्रामीण आधारभूत ढांचा विकास निधि, पैक्स तथा किसान उत्पादक संघों एवं वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में नाबार्ड द्वारा प्रदान किए जा रहे सहयोग एवं योगदान की सराहना की । उन्होंने संगोष्ठी में उपस्थित बैंकरों से प्रदेश में ऋण जमा अनुपात के स्तर को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने की कार्ययोजना तैयार करने को कहा ।
सचिव कृषि एवं पशु पालन विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार राकेश कंवर ने विभिन्न अनुपालन अवश्यकताओं के मुददों के कारण किसान उत्पादक संगठनों के कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकरण पर चिन्ता व्यक्त की । उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों को अनुपालन समर्थन प्रदान करने और उन्हें आर्थिक रूप से सुदृड़ बनाने के लिए रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठनों को सोसाईटी अधिनियम के तहत शामिल करने पर विचार करने पर बल दिया ।
मुख्य महा प्रबन्धक नार्बाड डाॅ0 सुधांशु के मिश्रा ने स्वागत संबोधन में बताया कि नाबार्ड ने वर्ष 2023-24 के दौरान प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों के तहत राज्य में 31971.20 करोड़ रूपए के ऋण प्रवाह की संभावना का आंकलन किया है जो गत वर्ष की तुलना में 9.59 प्रतिशत अधिक है । उन्होंने छोटे एवं सिंमात किसानों के लाभ और उनकी उपज के संग्रह के लिए राज्य में अधिक किसान संगठनों के गठन पर जोर दिया । उन्होंने बताया कि राज्य में 125 किसान उत्पाद संगठनों को बढ़ावा दिया गया है । उन्होंने बागवानी, पशुपालन व मधुमक्खी पालन से किसानों की आय बढ़ाने पर बल दिया ।
उप महाप्रबन्धक नाबार्ड संजीव शर्मा ने आभार उदबोधन में अन्तराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के तहत सभी किसानों व उत्पादकों के साथ साथ बैंकों को इस संबध में अधिक उत्पादन के लिए ऋण उपलब्ध करवाने की अपील की । उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा प्रदेश के कुल किसानों में से केवल 50 प्रतिशत किसानों को ही बैंकों के माध्यम से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिल पा रही है । उन्होंने बैंकों से शेष बचे किसानों को इस सुविधा का लाभ देने के लिए प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया ।
इस अवसर पर क्षेत्रीय निदेशक भारतीय रिजर्व बैंक आरएस अमर, संयोजक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति प्रदीप आनन्द केसरी, हिमाचल प्रदेश पंजीयक सहकारी समिति राजेश शर्मा, प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि, गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठनों के पदाधिकारियों ने सेमिनार में भाग लिया
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