प्रविष्टि तिथि: 01 MAR 2023 1:22PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में होन हाई टेक्नोलॉजी ग्रुप (फॉक्सकॉन) के चेयरमैन श्री यंग लियू से मुलाकात की। उन्होंने भारत के तकनीक और नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ाने के उद्देश्य से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की।

होन हाई टेक्नोलॉजी ग्रुप (फॉक्सकॉन) के एक ट्वीट के जवाब में, प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

“श्री यंग लियू के साथ मुलाक़ात अच्छी रही। हमारी चर्चाओं में भारत के तकनीक और नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ाने के उद्देश्य से जुड़े विभिन्न विषय शामिल थे।”

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प्रधानमंत्री कार्यालय
azadi ka amrit mahotsav

‘शहरी नियोजन, विकास और स्वच्छता’ विषय पर केन्द्रीय बजट के बाद हुए वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

प्रविष्टि तिथि: 01 MAR 2023 12:17PM by PIB Delhi

नमस्कार।

आप सभी का अर्बन डेवलपमेंट जैसे इस महत्वपूर्ण विषय पर बजट वेबिनार में स्वागत है।

साथियों,

ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद हमारे देश में इक्का-दुक्का ही planned city बने। आजादी के 75 वर्षों में देश में 75 नए औऱ बड़े planned city बने होते तो आज भारत की तस्वीर कुछ और ही होती। लेकिन अब 21वीं सदी में जिस तरह भारत तेज गति से विकास कर रहा है, आने वाले समय में अनेकों नए शहर ये भारत की अनिवार्यता होने वाले हैं।

ऐसे में भारत में अर्बन डेवलपमेंट के दो प्रमुख पक्ष हैं। नए शहरों का विकास और पुराने शहरों में पुरानी व्यवस्थाओं का आधुनिकीकरण। इसी विज़न को सामने रखते हुए हमारी सरकार ने हर बजट में urban development को बहुत महत्व दिया है। इस बजट में अर्बन प्लानिंग के मानकों के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का incentive भी तय किया गया है। मुझे विश्वास है, इससे देश में planned और व्यवस्थित शहरीकरण की नई शुरुआत होगी, इसे गति मिलेगी।

साथियों,

आप सभी एक्सपर्ट्स जानते हैं कि urban development में, urban planning औऱ urban governance, दोनों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। शहरों की खराब प्लानिंग या प्लान बनने के बाद उसका सही implementation न होना, हमारी विकास यात्रा के सामने बड़ी चुनौतियां पैदा कर सकता है। urban planning के तहत आने वाली special planning हो, transport planning हो, urban infrastructure planning हो, वाटर मैनेजमेंट हो, इन सभी areas में बहुत focused way में काम करना जरूरी है।

इस वेबिनार के अलग-अलग sessions में आप तीन सवालों पर जरूर फोकस करें। पहला- राज्यों में urban planning ecosystem को कैसे strengthen किया जाए। दूसरा- private sector में उपलब्ध expertise का urban planning में कैसे सही इस्तेमाल हो। तीसरा- ऐसे Centre of Excellence कैसे develop किए जाएं जो urban planning को एक नए level पर लेकर जाएं।

सभी राज्य सरकारों को और urban local bodies को एक बात हमेशा याद रखनी होगी। वे देश को विकसित बनाने में तब ही अपना योगदान दे पाएंगे, जब वो planned urban areas को तैयार करेंगी। हमें ये बात भी बड़ी भली भांति समझनी होगी कि अमृतकाल में urban planning ही हमारे शहरों का भाग्य निर्धारित करेगी और भारत के well planned शहर ही भारत के भाग्य को निर्धारित करेंगेI जब प्लानिंग बेहतर होगी तभी हमारे शहर climate resilient और water secure भी बनेंगे।

साथियों,

इस वेबिनार में urban planning और urban governance के जो एक्सपर्ट्स हैं, उनसे मेरा एक विशेष आग्रह है। आपको ज्यादा से ज्यादा innovative ideas के बारे में सोचना चाहिए। GIS based master planning हो, अलग-अलग तरह के planning tools का विकास हो, Efficient human resources हो, capacity building हो, हर area में आपकी बड़ी भूमिका हो सकती है। आज urban local bodies को आपके expertise की जरूरत है। और यही जरूरत आपके लिए अनेक अवसर पैदा करने वाली है।

साथियों,

शहरों के विकास का एक important pillar होता है transport planning. हमारे शहरों की mobility uninterrupted होनी चाहिए। 2014 से पहले देश में मेट्रो कनेक्टिविटी की क्या स्थिति थी, आप अच्छी तरह जानते हैं। हमारी सरकार ने कई शहरों में मेट्रो रेल पर काम किया है। आज हम मेट्रो नेटवर्क के मामले में कई देशों से आगे निकल चुके हैं। अब जरूरत है इस नेटवर्क को मजबूत करने की और fast और Last mile कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की। और इसके लिए जरूरी है efficient transport planning की। शहरों में सड़कों का चौड़ीकरण हो, green mobility हो, elevated roads हों, junction improvement हो, इन सभी components को transport planning का हिस्सा बनाना ही होगा।

साथियों,

आज भारत, circular economy को अर्बन डेवलपमेंट का बड़ा आधार बना रहा है। हमारे देश में हर दिन हजारों टन municipal waste पैदा होता है। इसमें battery waste, electrical waste, automobile waste और tyres जैसी चीजों से लेकर कम्पोस्ट बनाने तक की चीजें होतीं हैं। 2014 में जहां देश में केवल 14-15 प्रतिशत waste processing होती थी, वहीं आज 75 प्रतिशत waste process हो रहा है। अगर ये पहले ही हो गया होता तो हमारे शहरों के किनारे कूड़े के पहाड़ों से ना भरे होते।

आज waste की processing करके इन कूड़े के पहाड़ों से भी शहरों को मुक्त करने का काम किया जा रहा है। इसमें कई इंडस्ट्रीज़ के लिए रिसाइक्लिंग और circularity के ढेर सारे अवसर हैं। इस क्षेत्र में कई स्टार्टअप्स काफी अच्छा काम भी कर रहे हैं। हमें इन्हें सपोर्ट करने की जरूरत है। इंडस्ट्री को waste management के पूरे potential को इस्तेमाल करना चाहिए।

हमने अमृत योजना की सफलता के बाद शहरों में पीने के साफ पानी के लिए ‘अमृत-2.0’ उसको लॉन्च किया था। इस योजना के साथ अब हमें पानी और सीवेज़ के traditional मॉडल के आगे की प्लानिंग करनी ही होगी। आज कुछ शहरों में used water का treatment करके उसे इंडस्ट्रियल यूज़ के लिए भेजा जा रहा है। Waste management के इस क्षेत्र में भी प्राइवेट सेक्टर के लिए अपार संभावनाएं बन रही हैं।

साथियों,

हमारे नए शहर कचरा मुक्त होने चाहिए, वॉटर secure होने चाहिए, और climate resilient होने चाहिए। इसके लिए हमें टियर-2 और टियर-3 शहरों में अर्बन इनफ्रास्ट्रक्चर और प्लानिंग में निवेश बढ़ाना होगा। आर्किटैक्चर हो, ज़ीरो डिस्चार्ज मॉडल हो, एनर्जी की net positivity हो, जमीन के इस्तेमाल में efficiency हो, ट्रांज़िट कॉरिडोर्स हों या पब्लिक सेवाओं में AI का इस्तेमाल हो, आज समय है कि हम हमारी future cities के लिए नई परिभाषा तय करें, नए पैरामीटर्स सेट करें। हमें ये देखना होगा कि Urban Planning में बच्चों का ध्यान रखा जा रहा है या नहीं। बच्चों के खेलने-कूदने की जगहों से लेकर साइकिल तक चलाने के लिए, उनके पास अब पर्याप्त जगह है ही नहीं। Urban Planning में हमें इसका भी ध्यान रखना है।

साथियों,

शहरों के विकास के समय इस बात का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि इसमें शहरी लोगों के विकास की भी संभावनाएं समाहित हों। यानि हम जो योजनाएं बना रहे हैं, नीतियां बना रहे हैं वो शहरों के लोगों का जीवन तो आसान बनाएं, उनके खुद के विकास में भी मदद करें। इस साल के बजट में पीएम-आवास योजना के लिए करीब-करीब 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का कमिटमेंट किया गया है।

जब भी कोई घर बनता है, तो उसके साथ सीमेंट, स्टील, पेंट, फ़र्निचर जैसे कई उद्योगों के व्यवसायों को गति मिलती है। आप कल्पना कर सकते हैं, इससे कितने उद्योगों को कितना बड़ा बूस्ट मिलेगा। आज शहरी विकास के क्षेत्र में futuristic technology की भूमिका बहुत बढ़ गई है। हमारे स्टार्टअप्स को, इंडस्ट्री को इस दिशा में सोचने और तेजी से काम करने की आवश्यकता है। जो संभावनाएं मौजूद हैं, हमें उनका भी लाभ लेना है, और नई संभावनाओं को जन्म भी देना है। Sustainable House Technology से ले करके sustainable cities तक, हमें नए solutions खोजने हैं।

साथियों,

मैं आशा करता हूँ कि आप सब इन विषयों पर, इसके सिवाय भी बहुत सारे विषय हो सकते हैं, गंभीर विचार विमर्श करेंगे, इस विचार को आगे बढ़ाएँगे, संभावनाओं को साकार करने का परफेक्ट रोडमैप रास्ता बताएंगे।

इसी भावना के साथ, आप सभी को एक बार फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत बहुत धन्यवाद!

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प्रधानमंत्री कार्यालय
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प्रधानमंत्री ने ‘शहरी योजना, विकास और स्वच्छता’ विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को सम्बोधित किया


“21वीं सदी के दौरान भारत में तेजी से बदलते वातावरण में सुनियोजित शहर समय की जरूरत बनेंगे”

“नये शहरों का विकास और मौजूदा सेवाओं के आधुनिकीकरण, शहरी विकास के दो मुख्य पक्ष हैं”

“शहरी योजना अमृतकाल में हमारे शहरों का भविष्य तय करेगी और केवल सुनियोजित शहर ही भारत का भविष्य तय करेंगे”

“मेट्रो कनेक्टिविटी के मामले में भारत ने अनेक देशों को पीछे छोड़ दिया है”

“वर्ष 2014 में अपशिष्ट का प्रसंस्करण केवल 14-15 प्रतिशत था, जिसकी तुलना में आज 75 प्रतिशत अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया जा रहा है”

“हमारे नये शहरों को कचरा-मुक्त, जल संरक्षित और जलवायु-अनुकूल होना चाहिए”

“सरकार द्वारा बनाई जा रही योजनाओं और नीतियों से न केवल शहरवासियों का जीवन आसान होना चाहिए, बल्कि उन्हें खुद के विकास में भी सहायक होना चाहिए”

प्रविष्टि तिथि: 01 MAR 2023 11:29AM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘शहरी योजना, विकास और स्वच्छता’ विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को सम्बोधित किया। केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिए सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह छठवां वेबिनार है।

उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि स्वतंत्रता के बाद देश में अब तक केवल दो योजनाबद्ध शहरों का विकास किया गया। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की स्थिति बिलकुल भिन्न होती, अगर स्वतंत्रता के 75 वर्ष होने पर 75 योजनाबद्ध शहरों का विकास हो जाता। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कहा कि सुनियोजित शहर 21वीं सदी में भारत के तीव्रगामी वातावरण में समय की जरूरत बनेंगे। नये शहरों का विकास और मौजूदा सेवाओं के आधुनिकीकरण को शहरी विकास के दो मुख्य पक्षों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के प्रत्येक बजट में शहरी विकास की महत्ता को रेखांकित किया गया है। उन्होंने बताया कि शहरी विकास के मानकों के लिए इस साल के बजट में 15,000 करोड़ रुपये की प्रेरक धनराशि की घोषणा की गई है। उन्होंने भरोसा जताया कि इससे योजनाबद्ध शहरीकरण में तेजी आयेगी।

प्रधानमंत्री ने शहरी विकास में योजना और शासन की अहम भूमिका पर एक बार फिर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शहरों की कमजोर योजना या योजना के बाद उचित कार्यान्वयन के अभाव के कारण भारत की विकास यात्रा में बड़ी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। उन्होंने जगह को लेकर योजना, परिवहन योजना और शहरी अवसंरचना जैसे क्षेत्रों पर ध्यान लगाकर काम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने वेबिनार के प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे तीन मुख्य प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करें कि कैसे राज्यों में शहरी योजना इको-प्रणाली को मजूबत बनाया जा सकता है, शहरी विकास में निजी सेक्टर में उपलब्ध विशेषज्ञता का उचित इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है और अंत में शहरी योजना को एक नये स्तर पर ले जाने वाले उत्कृष्टता केंद्रों को कैसे विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी राज्य सरकारें और शहरी स्थानीय निकाय तभी विकसित राष्ट्र के प्रति अपना योगदान कर सकते हैं, जब वे योजनाबद्ध शहरी क्षेत्रों को तैयार करें। प्रधानमंत्री ने कहा, “शहरी योजना अमृतकाल में हमारे शहरों का भविष्य तय करेगी और केवल सुनियोजित शहर ही भारत का भविष्य तय करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि बेहतर योजना की बदौलत ही हमारे शहर जलवायु-अनुकूल और जल-संरक्षित बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि वे नवोन्मेषी विचारों के साथ आगे आयें। उन्होंने विशेषज्ञों की भूमिका को भी रेखांकित किया, जो जीआईएस-आधारित मास्टर प्लानिंग, योजना उपकरणों के विभिन्न स्वरूपों के विकास, कुशल मानव संसाधन और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में वे निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को उनकी विशेषज्ञता की बहुत जरूरत होगी और इस तरह अनेक अवसर पैदा होंगे।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि परिवहन योजना, शहरी विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ है और हमारे शहरों में आवागमन निर्बाध होना चाहिये। वर्ष 2014 के पहले देश में मेट्रो क्नेक्टिविटी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार अनेक शहरों में मेट्रो रेल पर काम कर रही है और मेट्रो नेटवर्क कनेक्टिविटी के मामले में भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने मेट्रो नेटवर्क को मजबूत करने और पहले गंतव्य से अंतिम गंतव्य तक की कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शहरों में सड़कों को चौड़ा करना, ग्रीन हाउस उत्सर्जन, वायु प्रदूषण व शोर-शराबे से मुक्त आवागमन, एलीवेटेड सड़कों और सड़कों के जंक्शन में सुधार लाने के काम को परिवहन योजना में शामिल करना होगा।

देश में हर दिन बैटरी अपशिष्ट, इलेक्ट्रिक अपशिष्ट, मोटर-वाहन अपशिष्ट, टायर और कंपोस्ट खाद बनाने योग्य कचरे जैसा हजारों टन अपशिष्ट नगर निगम क्षेत्र में जमा होता है, जिसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “चक्रीय अर्थव्यवस्था को भारत शहरी विकास का प्रमुख आधार बना रहा है।” उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में अपशिष्ट का प्रसंस्करण केवल 14-15 प्रतिशत था, जिसकी तुलना में आज 75 प्रतिशत अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह कदम पहले उठा लिया जाता, तो भारत के शहरों के किनारे कचरे के पहाड़ न खड़े हो पाते। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि अपशिष्ट प्रसंस्करण द्वारा शहरों को कूड़े के ढेरों से मुक्त करने का काम चल रहा है। उन्होंने गौर किया कि इस कदम से अनेक उद्योगों के लिये री-साइक्लिंग और चक्रीय प्रक्रिया की अपार संभावनायें खुल जायेंगी। उन्होंने सबसे आग्रह किया कि वे उन स्टार्ट-अप्स का समर्थन करें, जो इस क्षेत्र में शानदार काम कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उद्योगों को अपशिष्ट प्रबंधन की क्षमता बढ़ानी चाहिए। उन्होंने बताया कि अमृत योजना की सफलता के बाद शहरों में स्वच्छ पेयजल के लिए अमृत 2.0 लॉन्च किया गया। प्रधानमंत्री ने पानी और सीवर की पारंपरिक पद्धति से आगे निकलकर योजना बनाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कुछ शहरों में इस्तेमाल हो चुके पानी का शोधन करके उसे उद्योगों के इस्तेमाल के लिए भेज दिया जाता है।

टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में शहरी अवसंरचना और योजना में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे नये शहरों को कचरा-मुक्त, जल संरक्षित और जलवायु-अनुकूल होना चाहिये।” प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि हमारे भविष्य के शहरों को वास्तु, शून्य उत्सर्जन मॉडल, ऊर्जा की रचनात्मक स्थिति, जमीन का कारगर इस्तेमाल, परिवहन गलियारों और जन सेवाओं में कृत्रिम बौद्धिकता के इस्तेमाल जैसे पैमानों पर तैयार करना चाहिए। उन्होंने यह भी गौर किया कि खेल के मैदान और बच्चों के लिए साइकिल चलाने के मार्गों की जरूरत भी शहरी योजना का हिस्सा हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार द्वारा बनाई जा रही योजनाओं और नीतियां से न केवल शहरवासियों का जीवन आसान होना चाहिए, बल्कि उन्हें खुद के विकास में भी सहायक होना चाहिए।” उन्होंने बताया कि इस साल के बजट में पीएम आवास योजना के लिय 80,000 करोड़ रुपये खर्च करने की सरकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई मकान बनता है, तो सीमेंट, इस्पात, पेंट और फर्नीचर जैसे उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। शहरी विकास के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप्स और उद्योगों से आग्रह किया किया कि वे इस दिशा में विचार करें तथा तेजी से कार्य करें। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य का समापन करते हुए कहा, “हमें मौजूदा संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए और नई संभावनाओं को पैदा भी करना चाहिये। सतत आवासन प्रौद्योगिकी से लेकर सतत शहरों तक, हमने नये समाधान खोज लिये हैं।”

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प्रधानमंत्री कार्यालय
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प्रधानमंत्री ने डिब्रूगढ़ पहुंचने के साथ गंगा विलास क्रूज द्वारा अपनी पहली यात्रा पूरी करने पर प्रसन्नता व्यक्त की

 तिथि: 01 MAR 2023  PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने डिब्रूगढ़ पहुंचने के साथ गंगा विलास क्रूज द्वारा अपनी पहली यात्रा पूरी करने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।

केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री के एक ट्वीट के जवाब में, प्रधानमंत्री ने कहा;

“एक विशेष यात्रा पूरी हुई! उम्मीद करता हूँ कि भारत और विदेश से और अधिक पर्यटक गंगा विलास क्रूज की यात्रा में भाग लेंगे।”

 

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रक्षा मंत्रालय
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औरंगाबाद में 27-28 फरवरी, 2023 को आयोजित जी-20 के तत्त्वावधान में विमेन-20 की आरंभिक बैठक में भारतीय नौसेना की भागीदारी

 तिथि: 01 MAR 2023 PIB Delhi

भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों और एक वरिष्ठ सेवारत नौसेना अधिकारी की पत्नी ने औरंगाबाद में 27-28 फरवरी, 2023 को आयोजित जी-20 के तत्त्वावधान में विमेन-20 की आरंभिक बैठक में भारतीय नौसेना के साथ अपने अनुभवों और जुड़ाव को साझा किया। ‘ब्रेकिंग दी बैरियर्सः स्टोरीज़ ऑफ अनकनवेंशनल विमेन’ विषयवस्तु के तहत श्रोताओं से बातचीत करते हुये महिला अधिकारियों ने अपने विचार और वृत्तांत प्रस्तुत किये, जिनसे पता चलता है कि भारतीय नौसेना में लैंगिक सशक्तिकरण और समावेशी प्रक्रिया का कथनी व करनी द्वारा पूरी तरह पालन किया जाता है। सभी के पास सुनाने के लिये कुछ न कुछ अनोखा और विशेष था।

लेफ्टिनेंट कमांडर स्वाति भंडारी ने बताया कि कैसे उन्होंने ऊंचाई से लगने वाले डर पर विजय प्राप्त की और एक कुशल नेवी-पायलट बन गईं। उन्होंने संचालन, खोज और बचाव मिशनों में कई बार उड़ान भरी है। उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिये महिला दिवस 2022 पर नागर विमानन मंत्रालय ने सम्मानित किया था। सर्जन कमांडर शाज़िया ख़ान कुशल स्त्रीरोग शल्य चिकित्सक हैं। उन्होंने डॉक्टर के रूप में और नौकायान के दौरान होने वाले अनुभवों को साझा किया। उन्होंने हाल में राजस्थान में संपन्न होने वाली कार-रैली के अनुभव भी बताये। उन्होंने कहा कि इन सबने उनके व्यक्तित्व को आत्मविश्वास से भर दिया है। लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृत ने गर्व के साथ अपनी यात्रा के बारे में बताया, जो एनसीसी गणतंत्र दिवस परेड से शुरू होकर भारतीय नौसेना के दस्ते का नेतृत्व करने तक जाती है। उन्होंने इस वर्ष के गणतंत्र दिवस पर 144 कर्मियों वाले दस्ते का नेतृत्व किया था। लेफ्टिनेंट कमांडर ताविशी सिंह एक नौसैनिक निर्माणकर्ता हैं, जो शिपयार्ड में होने वाले निर्माण कार्यों की देखरेख करती हैं, ताकि युद्धपोतों को लॉन्च करने के पहले की तैयारी से लेकर उनकी आपूर्ति करने तक की सारी गतिविधियां सुचारु रूप से चलें। दो महिला लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना और रूपा, दोनों आईएनएसवी तारिणी पर तैनात हैं। दोनों दक्षिणी अटलांटिक के सफर पर हैं और नौवहन का प्रशिक्षण ले रही हैं। इस तरह वे नौवहन करने वाली पहली एशियाई महिला बन जायेंगी। दोनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजन में जुड़ीं। अंत में नौसेना के एक वरिष्ठ सेवारत अधिकारी की पत्नी श्रीमती दीपा भट नायर ने नेवी वेलफेयर एंड वेलनेस संगठन (एनडब्लूडब्लूए) की भूमिका पर अपने विचार रखे। इस संगठन को नौसैनिकों की पत्नियां संचालित करती हैं। श्रीमती नायर खुद भी एक प्रोफेशनल हैं। बदलते समय के साथ एनडब्लूडब्लूए भी आगे बढ़ता रहा और लैंगिक तटस्थता को उसने अपना लिया। श्रीमती नायर ने नौसैनिकों की पत्नियों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को रेखांकित किया के वे कैसे एकजुट होकर नौसैनिकों के परिवारों की देखरेख करती हैं। नौसेना अपने परिजनों की खुद देखभाल करती हैं, लेकिन सैनिकों की पत्नियां भी स्वयंसेवी के रूप में कार्यरत रहती हैं। ये महिला स्वयंसेवी समुद्र में रवाना होने वाले नौसैनिकों को यह विश्वास और ताकत देती हैं कि उनके परिवार वालों की पूरी देखभाल की जायेगी।

भारतीय नौसेना एक बहु-आयामी बल है, जो समुद्र की सतह पर, समुद्र के नीचे और समुद्र के ऊपर आसमान में भी काम करती है। इसकी गतिविधियों में सैन्य, राजनयिक, कांस्टेबुलरी और भलाई करने की भूमिकायें शामिल हैं। नौसेना प्लेटफार्म: जहाज, पनडुब्बियां और विमान अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हैं और इसलिये नौसेना अपनी सबसे बड़ी सम्पदा की गुणवत्ता और प्रशिक्षण पर बहुत जोर देती है, यानी उन कर्मियों पर जो इन मशीनों का प्रबंधन करते हैं। जीवन के सभी क्षेत्रों और भारत के सभी हिस्सों के लोग सशस्त्र बलों का हिस्सा हैं। भारतीय नौसेना भी इससे अलग नहीं है। अक्सर यह कहा जाता है कि भारतीय नौसेना युद्धपोत भारत की विविधता की जीती-जागती मिसाल है। यही, वास्तविक भारत का एक लघु हिस्सा है। वैसे महिलायें पहले भी नौसेना की कुछ शाखाओं में काम करती रही हैं, लेकिन अधिकारियों और नौसैनिकों, दोनों के लिए सभी शाखाओं को खोलने की हालिया पहल एक साहसिक परिवर्तनगामी कदम है। उपरोक्त कहानियां प्रेरणादायक थीं और नारी शक्ति को अपने वास्तविक रूप में दर्शाती थीं। उन्होंने भारतीय नौसेना और एनडब्ल्यू

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