अमीर हो रहे हिमाचल के लोग, हर व्यक्ति की औसत कमाई 2.22 लाख सालाना
शिमला, 16 मार्च । हिमाचल प्रदेश की खस्ता माली हालत के बावजूद यहां के लोग अमीर हो रहे हैं। प्रदेशवासियों की औसत कमाई में 10 फीसदी का उछाल आया है। पिछले साल तक हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय दो लाख एक हजार 271 रुपए थी। चालू वित्तीय वर्ष के खत्म होने तक इसके दो लाख 22 हजार 227 रुपया हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह जानकारी वीरवार को हिमाचल विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आई।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरवार को सदन में प्रदेश की आर्थिक सेहत का ब्यौरा रखा।
वितीय वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस बार प्रति व्यक्ति आय में 10.4% की वृद्धि अनुमानित है। खास बात यह है कि हिमाचल प्रदेश की अनुमानित प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय से 51 हज़ार 607 रुपये अधिक है।
हालांकि हिमाचल की विकास दर में पिछले साल की तुलना में गिरावट आई है। इस वितीय वर्ष में विकास दर के 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है। जबकि वितीय वर्ष 2021-22 में विकास दर 7.6 फीसदी थी।
हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद का आकार वितीय वर्ष 2021-22 में 1,26,433 करोड़ था, जिसका इस वितीय वर्ष में 8,143 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी के बाद  1,34,576 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
सर्वेक्षण के आंकड़ों पर नजर डालें तो, हिमाचल प्रदेश में इस साल पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।कोरोना काल के बाद पहली बार पर्यटकों की तादाद  बढ़ी है। इस वितीय वर्ष में150.99 लाख पर्यटकों ने हिमाचल के रुख किया है। कोरोना काल में पर्यटकों की संख्या एक तिहाई रह गई थी। कोरोना काल में प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर 2020-21 में 32.13 लाख पर्यटक पहुंचे थे, 2021-22 में बढ़कर 56.37 लाख और 2022-23 में 150.99 लाख हो गए।
सर्वेक्षण के अनुसार इस वर्ष सेवा क्षेत्र में 49527 करोड़ का अनुमान है, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 46370 करोड़ के साथ 6.9 फीसद अधिक दर्शाता है। द्वितीयक क्षेत्र में पिछले साल 56408 करोड़ था और इस वर्ष 60444 करोड़ अनुमानित है। प्राथमिक क्षेत्र में इस वर्ष 16717 करोड़ होगा, जोकि पिछले वर्ष 16395 करोड़ था और इस क्षेत्र में 2 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है। हिमाचल में बेरोजगारी दर सबसे कम
सभी पड़ोसी और अखिल भारतीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी दर सबसे कम 4.0 प्रतिशत है। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 4.1 फीसद, उत्तराखंड में 7.8 फीसद, पंजाब में 6.4 और हरियाणा में 9.0 फीसद है।
सर्वेक्षण के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश की महिलाएं परिश्रम के मामले में देश और पड़ोसी राज्यों में बहुत आगे है। हिमाचली महिलाओं का प्रतिशत 50.5 फीसद सबसे अधिक आया है। जबकि अखिल भारतीय स्तर और पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक है। खेतों में काम करने से लेकर कार्यालयों में काम करने में भी हिमाचली महिलाओं की भूमिका अधिक है। प्रदेश की महिलाएं आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रियता से भाग लेती हैं।
सर्वेक्षण में सामने आया है कि हिमाचल प्रदेश के लोग श्रम बल में आगे हैं। वर्ष 2021-22 की सर्वे रिपोर्ट अनुसार सभी आयु के श्रम बल में हिमाचल प्रदेश की भागीदारी 58.1 फीसद, उत्तराखंड की 40.8 फीसद, पंजाब की 41.3 फीसद, हरियाणा की 35.4 फीसद और अखिल भारतीय स्तर पर 41.3 फीसद है। इसके अतिरिक्त श्रमिक जनसंख्या अनुपात यानि 15 वर्ष की आयु से अधिक में हिमाचल की स्थिति 55.8, उत्तराखंड 37.6, पंजाब 38.6, हरियाणा 32.3 और अखिल भारतीय स्तर पर 39.6 फीसद है। प्रदेश इस श्रेणी में भी सबसे आगे खड़ा है।
सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पांच नदियों में 27436 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन करने की क्षमता है। राज्य की कुल जल विद्युत क्षमता में से अब तक 10519 मेगावाट का दोहन हो चुका है और जिसमें से 7.6 फीसद हिमाचल प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है। शेष विद्युत उत्पादन केंद्र सरकार द्वारा दोहन किया जा रहा है।
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शिमला, 16 मार्च। हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष अक्टूबर तक 200 मेगावाट सोलर बिजली का उत्पादन आरम्भ हो जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरवार को प्रदेश विधानसभा में ये ऐलान किया। इस बिजली के उत्पादन से फिर हिमाचल को सर्दियों के मौसम में दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं होना पडेगा, क्योंकि सर्दियों के दिनों में प्रदेश को दूसरे राज्यों से बिजली की खरीद करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि नौ महीने के रिकॉर्ड समय में 200 मेगावाट सोलर पावर का उत्पादन किया जाएगा जो इससे पहले कभी नहीं हुआ है।
हिमाचल प्रदेश जल-विद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक, 2023 की चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार को संसाधन जुटाने की जरूरत है जिसके लिए कडे कदम उठाए जा रहे हैं। इससे परेशानी तो होगी, मगर आने वाला समय बेहतरीन जरूर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी सर्दियों में अक्टूबर से मार्च महीने तक प्रदेश को 7 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली की खरीद करनी पडती है। अपनी सोलर पावर होगी तो यह जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि हाइड्रो पावर का उत्पादन उस समय में कम हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के हित में जो भी हो सकेगा वह किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्री रात को भी काम करते हैं जो आगे भी करेंगे, क्योंकि राज्य का हित देखना है। उन्होंने कहा कि वाटर सेस को लाने में सरकार की कोई राजनीतिक मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में पावर पाॅलिसी में भी बदलाव किया जाएगा। इसे लेकर अधिकारी काम कर रहे हैं और दूसरे राज्यों के मुकाबले एक बेहतरीन पाॅलिसी यहां पर दी जाएगी जिससे पावर सेक्टर में भी निवेश बढे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार वाटर सेस के लिए अध्यादेश लाई और ये इसलिए जरूरी था, क्योंकि सालों से हम अपने अधिकार से वंचित थे। पानी पर सेस लगाना राज्य का अधिकार है और पानी हिमाचल का बहता सोना है। उन्होंने कहा कि शांता कुमार ने वाटर सेस को लेकर सराहना की है। उनका कहना था कि 172 बिजली परियेाजनाओं को आयोग में पंजीकरण करवाना होगा। हिमाचल के लोगों को कोई दिक्कत न हो, इसे ध्यान में रखा जाएगा और हिमाचली उत्पादकों को राहत प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने सिंचाई के लिए दूसरे राज्यों द्वारा उपयोग में लाए जा रहे पानी पर भी सेस कैसे लगे, इस सुझाव को बेहतरीन बताया और कहा कि सरकार इस दिशा में ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हक को लेने के लिए जो भी करना पड़ेगा वह किया जाएगा। उनका कहना था कि संसाधन जुटाने के लिए सरकार कई कारगर कदम आने वाले समय में उठाएगी, यह तय है।
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शिमला, 16 मार्च । हिमाचल प्रदेश में बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लागू करने के लिए कानून बन गया है। विधानसभा में वीरवार को वाटर सेस कानून को संशोधनों के साथ मंजूरी दे दी गई। प्रदेश में वर्तमान 172 बिजली परियोजनाओं के साथ भविष्य में लगने वाले प्रोजेक्टों पर इसे लागू किया जाएगा।
विधानसभा में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की तरफ से पेश किए गए विधेयक पर विपक्षी दल भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा ने दो संशोधन दिए थे। उनके संशोधनों को मानकर सरकार ने विधेयक में इन्हें शामिल करने की मंजूरी दी है। संशोधन के अनुसार वाटर सेस लागू करने के लिए प्रदेश में बनने वाले आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति का दायरा बढ़ाया जाएगा। अध्यक्ष पद के लिए सचिव रैंक के अधिकारी के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों इंजीनियरिंग, वित्त, कानून, एवं सांख्यिकी के अलावा मैनेजमेंट से जुड़े विशेषज्ञों की तैनाती की जा सकेगी। इनके पास कम से कम 15 साल का अनुभव होगा और किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं होंगे। इसी तरह से सदस्यों की नियुक्ति भी अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के माध्यम से की जाएगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हस्तक्षेप के बाद उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधेयक को संशोधनों के साथ पारित करने के लिए रखा जिसे मंजूरी दे दी गई। इससे पहले विधेयक पर चर्चा हुई जिस पर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस कानून का असर प्रदेश की जनता पर नहीं पडेगा। उन्होंने कहा कि आज सरकार को कठिन वित्तीय परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए संसाधन जुटाने की जरूरत है और इसलिए विपक्ष को भी इसमें सहयोग देना चाहिए नाकि पूंजीपतियों की वकालत करनी चाहिए। उनका कहना था कि जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाकर राज्य को 4 हजार करोड़ रुपए की आय होगी। सरकार दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ इस विधेयक को लाई है जिसके लिए उन्होंने राज्यपाल का भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है और जो कर रहे हैं सोच समझ कर हो रहा हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में कंपनियों के साथ बातचीत की जाएगी और पांच मेगावाट से नीचे के हिमाचली उत्पादकों को इसमें राहत भी दी जाएगी।
वाटर सेस को लेकर सदन में चर्चा भी की गई। विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि वह पूंजीपतियों का संरक्षण नहीं कर रहे हैं और चाहते हैं कि हिमाचल के लिए आय के साधन बढें। परंतु इस विधेयक में कई कमियां हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने पूछा कि जब विधानसभा सत्र शुरू होना ही था तो क्यों रातों रात सरकार को अध्यादेश लाना पडा। यह साफ नहीं है कि पुराने बिजली उत्पादकों से भी यह सेस लिया जाएगा या फिर भविष्य की कंपनियों से ही लिया जाएगा। उनका कहना था कि परियोजना उत्पादकों से सरकार राॅयल्टी भी लेती है और अपफ्रंट प्रीमियम भी लिया जाता है, यदि इस पर सेस लगाएंगे तो जनता पर अपरोक्ष रूप से इसका बोझ पड़ सकता है। इसमें कानूनी अड़चनें आ सकती हैं। साथ ही 5 मेगावाट के प्रोजेक्ट हिमाचलियों के हैं, जिन पर भी यह बोझ होगा। उनका कहना था कि सरकार को हर मामले को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए।
कांग्रेस के विधायक राजेश धर्माणी ने सरकार को सुझाव दिया कि सिंचाई के लिए जो पानी दूसरे राज्य इस्तेमाल कर रहे हैं क्या उनसे इस तरह का सेस लिया जा सकता है, सरकार को इस पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने श्री रेणुका जी प्रोजेक्ट का भी उदाहरण दिया।
विधायक जनक राज ने वाटर सेस में जिला व स्थानीय पंचायत की हिस्सेदारी की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जल, जंगल व जमीन पर जनजातीय क्षेत्र के लोगों का पहला अधिकार होता है और वहां पैसा कानून चलता है।
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बजट सत्र : गले में लोहे की चेन और ताले डालकर भाजपा विधायकों का सीएम चैम्बर के बाहर प्रदर्शन, सदन से वाकआउट, कांग्रेस लाई निंदा प्रस्ताव
शिमला, 16 मार्च। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को भी विपक्षी दल भाजपा के कडे तेवर देखने को मिले। भाजपा शासन में खुले सैंकड़ों संस्थानों व दफ्तरों को बंद करने के मुददे पर विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर जमकर हंगामा किया। विपक्ष के विधायकों ने विरोध का अनोखा रास्ता निकाला। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अगुवाई में भाजपा विधायकों ने गले में लोहे की चेन और ताले डालकर मुख्यमंत्री के चैंबर के बाहर हल्ला बोला। भाजपा विधायकों के इस विरोध प्रदर्शन से सतापक्ष उखड़ गया और विपक्षी विधायकों के खिलाफ सदन में निंदा प्रस्ताव लाया गया।
दरअसल बुधवार को बजट सत्र की बैठक से पहले विपक्षी विधायक लोहे की चेन व ताले गले में डालकर विधानसभा परिसर में दाखिल हुए। विपक्ष के विधायक सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री के चैंबर के बाहर धरने पर बैठे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इस दौरान सतापक्ष के भी कुछ विधायकों ने पलटवार करते हुए विपक्षी विधायकों के खिलाफ नारे लगाए। जिससे सीएम चैंबर के बाहर माहौल तनावपूर्ण हो गया।
पूर्वान्ह 11 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तो विपक्षी विधायकों ने संस्थान बंद करने के मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा कर दी। 10 मिनट तक सतापक्ष के सदस्यों ने अपने-अपने सवाल पूछे, जबकि विपक्षी सदस्य सदन में नारे लगाते रहे।
विधानसभा अध्यक्ष से अपनी बात रखने का मौका मिलने पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि संस्थानों पर तालाबंदी का प्रदेश सरकार का निर्णय सही नहीं है। इस कदम से पूरे प्रदेश में हाहाकार मची है और जनता में भारी आक्रोश है। विपक्ष का दायित्व बनता है कि वो जनहित के मुददों को हम बेहतर ढ़ग से रखें। जयराम ठाकुर ने कहा कि इन संस्थानों को बंद करने से पहले कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। सरकार ने बिना सोचे-समझे संस्थानों पर तालाबंदी की।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस मुददे पर विपक्ष आज मुख्यमंत्री से मिलने उनके चैंबर में गया, लेकिन सतापक्ष के विधायकों द्वारा उनके साथ दुव्र्यवहार किया गया। भाजपा विधायकों का व्यवहार गुंडागर्दी वाला रहा। सरकार हमारी आवाज को दबा रही है। ये सामान्य परिस्थति नहीं है और इसके खिलाफ विपक्ष वाकआउट कर रहा है। इसके बाद विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
दूसरी तरफ सतापक्ष ने विपक्ष के इस रवैये की भत्सर्णा की और सदन में निंदा प्रस्ताव पेश किया। विपक्ष के वाकआउट के बाद संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने निंदा प्रस्ताव लाते हुए कहा कि सदन के अंदर और बाहर भाजपा विधायकों का प्रदर्शन दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय है। भाजपा विस चुनाव में मिली हार से बौखलाहट में है और उनके पास कोई मुद्दा नहीं है। सतापक्ष की ओर से उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, धनीराम शांडिल, जगत सिंह नेगी और संजय रत्न ने निंदा प्रस्ताव का समर्थन करते हुए विपक्ष के व्यवहार की कड़ी आलोचना की।
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने विपक्ष की दलीलों को तथ्यों के परे बताया और कहा कि वह बौखलाहट में है। उन्होंने विपक्ष पर सरकार को डिक्टेट करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार इनके वोट से नहीं बनी है, बल्कि जनता ने कांग्रेस को सत्ता में लाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह के ड्रामे रच रहा है। उन्होंने सरकार की ओर से विपक्ष के व्यवहार और वाकआउट को लेकर निंदा प्रस्ताव भी पेश किया और कहा कि विपक्ष का व्यवहार अति निंदनीय है। हर्षवर्धन चौहान ने यह भी कहा कि सरकार, विपक्ष के नारों और धमकियों से डरने वाली नहीं है और न ही सरकार विपक्ष के हिसाब से जवाब देगी।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम ठाकुर अपनी सरकार बचाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने दिन रात एक कर संस्थान खोले, ताकि फिर से मुख्यमंत्री बन सके। इसके लिए उन्होंने किसी भी कायदे कानून की परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आय के संसाधनों से खिलवाड़ करने के लिए जयराम ठाकुर को सदन में आकर प्रदेशवासियों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर को अब यह मान लेना चाहिए कि अब सरकार बदल चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने विवेक, सोच और संसाधनों से काम करेगी, न कि विपक्ष की नसीहत से।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह बजट सत्र के बाद सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे और देखेंगे कि कहां पर संस्थान खोलने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार में बिना पदों को भरे कोई भी संस्थान नहीं खोला जाएगा और यही व्यवस्था परिवर्तन है। सुक्खू ने यह भी कहा कि वह राज्य के पैसे को लूटने के लिए सत्ता में नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं को मैरिट और योग्यता के आधार पर रोजगार मिलेगा।

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