बीरबल शर्मा
मंडी, 19 मार्च।
अभी हाल ही में 12 मार्च को दिल्ली के जंतर मंतर में  पूर्व सैनिकों के धरने में भाग लेकर लौटे हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों के पूर्व सैनिकों ने एक रैंक एक पेंशन में हो रही विसंगतियां व अधिकारी वर्ग को ज्यादा लाभ देने के विषय में आनरेरी कमीशंड ऑफीसर, जूनियर कमीशंड ऑफीसर व अन्य रैंक के सभी पूर्व सैनिकों ने अधिकारी वर्ग को इस स्कीम के अंतर्गत ज्यादा लाभ देने पर कड़ा विरोध किया है तथा आपस में एक संगठन का भी गठन किया है जो इन रैको के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध संघर्ष जारी रखेगा और सरकार से अपनी मांगों को मनवाने के लिए हर कदम उठाएगा। उनकी मांग में एक रैंक एक पेंशन भाग 2 मैं सरकार द्वारा अधिकारी वर्ग को ज्यादा लाभ दिया गया है इसके बिरुद भारी बिरोध है। आनरेरी कमीशन ऑफिसर कल्याण एसोसिएशन ऑफ हिमाचल प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सैनिक संयुक्त मोर्चा ऑफ हिमाचल प्रदेश के सदस्य कैप्टन जगदीश वर्मा सेवानिवृत्त ने कहा कि सरकार द्वारा जारी किए गए पैनसन  टेबल में सिपाही से हवालदार तक मामूली वृद्धि की गई है । लेकिन मेजर से लेकर लेफ्टिनेंट जनरल तक के हिस्से में सरकार द्वारा दिए गए ₹23000 करोड़ में से नब्बे परसेंट पैसा इन अधिकारियों उनके खातों में चला गया है । जूनियर कमीशन अफसर का तो बहुत बुरा हाल है उनकी पेंशन पहले वालों से कम कर दी गई है जो समझ से परे है। नीचे के रैंक के टेबल में बहुत सी विसंगतियां हैं परंतु अधिकारी गणों के टेबल में कोई गलती न हो कर उन्हें भरपूर लाभ दिया गया है । इसके विरोध में हिमाचल प्रदेश के पूर्व सैनिकों ने अधिकारियों पर धक्का शाही का आरोप लगाया है । पूर्व सैनिकों ने मुख्य मांगों को लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी है तथा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री को सभी स्थानों से ज्ञापन भेजे जा रहे हैं।  मुख्य मांगों में ओ आर ओ पी  को सही रूप से लागू किया जाए जैसे कोशियारी कमेटी ने सिफारिश की थी । अगर नहीं कर सकते तो थर्ड वेतन आयोग के मुताबिक 75% अंतिम वेतन का पेंशन के रूप में दिया जाए । मिलिट्री सर्विस पे के भेदभाव को खत्म किया जाए। एक मैन आयोग न्यायाधीश जस्टिस रेड्डी की सिफारिशों को पूरे देश को व पूर्व सैनिकों को बताया जाए तथा लागू किया जाए । पूर्व सैनिकों की लीग व अन्य सोसाइटीज में अधिकारी वर्गों को न रखा जाए क्योंकि उनकी संख्या 3 फ़ीसदी ही होती है । 97 फ़ीसदी नीचे के रैको की होती है ।वह अपने से नीचे वालों की कल्याणकारी कार्यों व योजनाओं की अनदेखी करते हैं तथा इसके साथ ही अपने पदों पर चिपके रहते हैं। अधिकारी वर्गों को सेवानिवृत्त होने पर रिजर्वेशन पॉलिसी को खत्म किया जाए । अधिकारी वर्गों को सेवानिवृत्त होने पर रिजर्वेशन पॉलिसी को जारी रखना बहुत बड़ा अन्याय है तथा आनरेरी कमीशन ऑफिसर, जूनियर कमीशन अफसर व अन्य रैको के साथ घोर अन्याय है।  एक तो अधिकारी वर्ग को सशस्त्र सेनाओं में  55 से 60 की आयु तक ज्यादा सर्विस का मौका दिया जाता है तथा उसके साथ ही सेवानिवृत्त के बाद भी नौकरियों पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराई गई है और उन्हें सिक्युरिटी एजेंसी, पेट्रोल पंप, सीएसडी कैंटीन ईसीएचएस, जिला सैनिक बोर्ड, केंद्रीय सैनिक बोर्ड आदि में रिजर्वेशन है जो नीचे के रैको के प्रति अत्यंत भेदभाव व अन्याय है क्योंकि नीचे के रैको को 35-45 की आयु में सेवानिवृत्त होना  पड़ता है जब घर की जिम्मेदारी अधिक हो जाती है। अधिकारियों ने अपने आप बनाई पोलिसी अपने आप को लाभ ले ने को बनाई है। कोई लाभ वाली बरसता न होने पर उन्हें होटलों के बाहर सिक्युरिटी गार्ड, चौकीदार आदि का काम, ट्रेंड सुधा होने पर भी करना पड़ता है। कोई भी पॉलिसी की कमेटी बनाई जाए उसमें नीचे के रैको को भी शामिल किया जाए ताकि वह अपनी बात को सही ढंग से रख सके । अकेले अधिकारी लोग पेंशन,  सीएसडी कैंटीन,  ईसीएचएस, व अन्य स्कीमों में अपने मनमाने ढंग से मसौदा तैयार करते हैं जो नीचे  के रैको के हित में नहीं होता है इसलिए नीचे के रैको इसके खिलाफ कोर्ट में जाना पड़ता है।  सीएसडी कैंटीन,  ईसीएचएस, पुनर्वास की सुविधा, जिला सैनिक बोर्ड आदि में अधिकारियों को ही नियुक्तियां दी जाती है या भेदभाव पूर्ण प्रथा भी बंद होनी चाहिए सभी रैंक को इन पोस्टों पर जाने के लिए परीक्षा आदि की व्यवस्था तथा सबको इन में बैठने के लिए योग्य ठहराया जाना चाहिए ताकि उनको भी योग्यता के मुताबिक वहां सेवा करने का मौका मिले किसी एक कैटेगरी को ही नियुक्तियां देना न्याय संगत नहीं है।

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