————————————-मौलाना कबीरुद्दीन फारान
(प्रेस रिलीज़ मिस्सरवाला) कुरआने पाक, रमज़ान का महीना और उसके रोजा़ें का चोली दामन का रिश्ता है रमज़ान के रोजे़ इसलिए फर्ज़ करार दिए गए हैं ताकि इन्सान उसकी बदौलत कुरआन को पढने और समझने वाला खुदा की नाफरमानियों से बचने और फरमाबरदार ज़िन्दगी को अपनाने और खुदा के बन्दों के साथ खुद भूखा प्यासा रह कर खुदा की निअ़मतों की कद्र और मोहताज बन्दों की खैर खाही की सिफत आ जाए। इसका इज़हार मौलाना कबीरुद्दीन फारान प्रधानाचार्य मदरसा क़ादरिया मिस्सरवाला ज़िला सिरमौर हिमाचल प्रदेश ने किया।
मौलाना फारान ने हदीसे पाक के हवाले से कहा कि जिन पर रोजे़ फर्ज़ हैं और वह रोजा़ का एहतमाम नहीं करता तो अल्लाह के नबी और फरिश्ते एैसे शख्स पर लअ़नत भेजते हैं और उसकी नहूसत से पूरा समाज प्रभावित होता है
आपने हज़रत मुहम्मद के फरमान के हवाले से कहा कि रोज़े की हालत में आदमी भूखा रहे और खुदा की ना फरमानी दूसरों की बुराई मन का पाप और मन चाही आदतों को भी करता रहे तो उसे भूखे रहने के सिवा कुछ नहीं मिला।
दरअसल रोज़ा जिस्म के तमाम हिस्सों को बुराइयों से रोकने का नाम है इसलिए दिन में रोजे़ का एहतमाम करंे और रात को तरावीह की हालत में पूरे तीस पारों की तिलावत सुने और अपनी जा़त से अल्लाह के बन्दों के साथ खैरखाही का मामला करंे ।
रोजे़ के साथ तरावीह का एहतमाम भी ज़रुरी है यह अल्लाह के कलाम की कद्र करना है जिसको तरावीह की हालत में हर हर हर्फ और आयत को सुनना रसूलुल्लाह की मुबारक सुन्नत है। क़यामत के दिन रोजे़ और कुरआन अल्लाह से जन्नत की सिफारिश करेंगे।
इसलिए हर आक़िल व बालिग़ मुसलमान को रोजे़ का एहतमाम करना चाहिए।
नोटः करोना वायरस की वजह से तरावीह और पंजवक्ता नमाज़ अपने घरों में अदा करें और अगर घर में जामात करते हैं तो कम से मक एक मीटर की दूरी पर एक दूसरे से फसला बना कर रखें मस्जिदों में लाउड स्पीकरों का इस्तेमाल ना करें, नमाज़ों का वक्त मोहल्लों की मस्जिदों से हासिल करें। सवाब अल्लाह के ज़िम्मा है।

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