बीरबल शर्मा
मंडी, 5 अप्रैल। इतिहास विभाग सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी द्वारा क्रांतिकारी इंद्रपाल की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आचार्य अनुपमा सिंह प्रति कुलपति एवं अधिष्ठाता अकादमिक मामले मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य राजेश कुमार शर्मा अधिष्ठाता महाविद्यालय विकास परिषद ने की। वहीं भाई हिरदा राम के पोते शमशेर सिंह मिन्हास विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता डॉ. राकेश कुमार शर्मा संयोजक इतिहास विभाग सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी रहे।कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर क्रांतिकारी इंद्रपाल की चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। मुख्य अतिथि आचार्य अनुपमा सिंह ने कहा कि भारत माता के असंख्य वीर सपूतों ने स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया है। जिनमें इंद्रपाल विशेष स्थान रखते हैं। उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। मुख्य वक्ता डॉ राकेश कुमार शर्मा ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि क्रांतिकारी इंद्रपाल का जन्म 5 अप्रैल, 1905 को नादौन में हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया।परन्तु मन नहीं लगा व लाहौर चले गए। वहां पर समाचार पत्रों में कातिव का काम करने लगे। वे लाहौर में क्रांतिकारी यशपाल, भगत सिंह, भगवती चरण, चंद्रशेखर आजाद सहित क्रांतिकारियों के संपर्क में आए व भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। उन्होंने कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। अंग्रेजी सरकार ने 26 अगस्त,1930 को गिरफ्तार कर लिया।उन पर मुकदमा चलाया। उन्हें फांसी की सजा व 20 वर्ष का आजीवन कारावास की सजाएं सुनाई गई।बाद में फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। उन्हें कड़ी यातनाएं दी गई। जेल में ही उनका स्वास्थ्य खराब हो गया व अधरंग हो गया। 1938 में बेहोशी की हालत में उन्हें रिहा किया गया।जब देश स्वतंत्रत हुआ तो यह महान स्वतंत्रता सेनानी अपने पैतृक गांव में थे। स्वास्थ्य लाभ के लिए वे दिल्ली चले गए जहां पर 13 अप्रैल 1948 को इनका देहावसान हो गया। कार्यक्रम अध्यक्ष आचार्य राजेश शर्मा ने इस उपलक्ष्य पर कहा कि इंद्रपाल जैसे युवा अल्पायु में ही देश को आजाद करवाने के लिए आगे बढ़े।कोई आसान जीवन चुनने के बजाए उन्होंने देश को आजाद करवाना अपना धेय समझा।हमें इन आजादी के दीवानों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। विशिष्ट अतिथि भाई हिरदया राम के पौत्र शमशेर सिंह मिन्हास ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास त्याग, तप, सतत संघर्ष व बलिदान का इतिहास है। क्रांतिकारी इन्द्रपाल जैसे अंसख्य क्रांतिकारियों ने मां भारती के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। कार्यक्रम में स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर से अनीता देवी व द्वितीय सत्र से गीता देवी ने इंद्रपाल के जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में हितेश कपूर व सरदार पटेल विश्वविद्यालय से डॉ जगदीप वर्मा संयोजक वनस्पति विज्ञान,डॉ चेतन चौहान सहायक आचार्य रसायन विभाग,डॉ. रामपाल, विकेश,राजेश, कन्हैया लाल सैनी, दीपक, इतिहास सोसायटी के अध्यक्ष चिंता, रोहित, हिमानी, नितिका, अंकित सहित समस्त सदस्य व इतिहास विभाग के समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे। मंच का संचालन हिमानी ने किया। स्वागत एवं धन्यवाद डॉ रामपाल द्वारा किया गया।
फोटो: क्रांतिकारी इंद्रपाल की जयंती पर मुख्यअतिथि आचार्य अनुपमा सिंह एवं इतिहास विभाग के छात्र व अन्य।

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