शिमला, 06 अप्रैल ।
शिमला, 06 अप्रैल । हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की महत्वाकांक्षी सुखाश्रय योजना कानून बन गई है। प्रदेश विधानसभा ने वीरवार को हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय (राज्य के बालकों की देखरेख, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) विधेयक को मंजूरी दे दी। इसी के साथ अनाथ बच्चे अब चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट हो गए हैं और अब राज्य के छह हजार से अधिक अनाथ बच्चों का पूरा खर्च प्रदेश सरकार उठाएगी।
विधानसभा में इस विधेयक पर वीरवार को हुई चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने सुखाश्रय योजना के माध्यम से अनाथ बच्चों में दया का भाव दूर कर उन्हें अधिकार का भाव देना का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि सुखाश्रय योजना को कानून बनाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है, क्योंकि देश में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून के लिए पूरा बजट प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया है और इसकी शुरूआत 101 करोड़ रुपए के कोष के साथ की गई है।
सुक्खू ने विपक्ष के आरोपों पर कहा कि यह योजना न तो भारत सरकार की किसी योजना की नकल है और न ही यह योजना किसी के नाम पर रखी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के 6 हजार से अधिक अनाथ बच्चों का न केवल 27 वर्ष तक पालन पोषण करेगी, बल्कि उन्हें चार हजार रुपए मासिक पाकेट मनी भी देगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे बच्चों का उच्च शिक्षा के लिए भी सारा खर्च उठाएगी और 27 वर्ष पूरा करने के लिए ऐसे बच्चों को घर बनाने के लिए तीन बिस्वा जमीन के साथ-साथ घर बनाने के लिए पैसे भी देगी। उन्होंने कहा कि सुखाश्रय देश की ऐसी पहली योजना है, जिसमें चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को परिभाषित किया गया है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस योजना में अधिकार के भाव से अधिक राजनीतिक प्रभाव दिख रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के नाम से ऐसा लगता है कि मुख्यमंंत्री ने अपने ही नाम से योजना बना दी है। उन्होंने कहा कि इस कानून के अधिकांश प्रावधान पहले से ही केंद्रीय योजना में शामिल हैं।
—
हिमाचल में पानी की बर्बादी पर नहीं होगी जेल, 10 लाख रुपये देना होगा जुर्माना
शिमला, 06 अप्रैल । हिमाचल प्रदेश में भूजल स्त्रोत से हासिल होने वाले पीने योग्य पानी की बर्बादी या बेवजह इस्तेमाल करने पर अब किसी को भी जेल नहीं होगी, बल्कि भूजल का दुरूपयोग करने वालों को 10 लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने वीरवार को इस संबंध में हिमाचल प्रदेश भूगर्भ जल (विकास और प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण) विधेयक पारित किया। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इस विधेयक को पारित करने के लिए सदन में रखा और लंबी चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पास कर दिया।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून पुराना है और इसकी केवल धारा 21 में बदलाव किया जा रहा है और भूजल का दुरुपयोग करने पर अब पांच साल की कैद के बजाय सिर्फ जुर्माने का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि जुर्माने की राशि अधिकतम 10 लाख रुपए होगी।
उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी को इस कानून में शामिल नहीं किया गया है और पेयजल अथवा सिंचाई के लिए प्रयुक्त होने वाला पानी इस कानून के दायरे में नहीं आएगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कानून में इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करना है, क्योंकि कैद की सजा के प्रावधान के चलते बड़ी संख्या में उद्योगपति हिमाचल आने से कतरा रहे थे।
इससे पूर्व, विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधेयक को बहुत जल्दबाजी में लाया गया है और इसके नतीजे गंभीर होंगे। विधायक हंस राज ने कहा कि भूजल के दुरुपयोग पर उद्योगपतियों को दस लाख रुपये का जुर्माना कम है। उन्होंने कैद की सजा को बरकरार रखने और विधेयक को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की सलाह दी। विधायक सुखराम चौधरी ने असिंचित क्षेत्र को इस कानून से बाहर रखने की सलाह दी। विधायक विनोद कुमार ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है, उन्हें इस अधिनियम से बाहर रखा जाना चाहिए। विधायक डॉ. जनक राज ने आर्थिक जुर्माने के साथ-साथ ट्यूबवैल लगाने के लिए नियमों के सरलीकरण का सुझाव दिया।
……..
हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने की तैयारी
शिमला, 06 अप्रैल । हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को जल्द ही वैध किया जा सकता है। प्रदेश विधानसभा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सलाह पर इस मुद्दे पर विधायकों की कमेटी गठित करने की घोषणा की है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने विधायक पूर्ण चंद ठाकुर द्वारा प्रदेश में भांग के औषधीय गुणों को देखते हुए जनहित में दूसरे राज्यों की तर्ज पर भांग की खेती को वैध बनाने को लेकर नियम 101 के तहत लाए गए संकल्प पर हुई चर्चा के बाद कमेटी गठित करने की घोषणा की। यह कमेटी बागवानी व राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में गठित की गई है और विधायक हंस राज, मुख्य संसदीय सचिव सुंदर ठाकुर, विधायक पूर्ण ठाकुर और डॉ. जनक राज इस कमेटी के सदस्य होंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह कमेटी एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
इससे पूर्व, संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार भांग की पत्तियों और बीज के उपयोग पर पूरी जानकारी लेने के बाद कानून बनाने पर विचार करेगी। उन्होंने इसके लिए विधानसभा की एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कमेटी भांग के औषधीय गुणों और इसके उपयोग तथा दुरुपयोग पर एक माह के भीतर रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट देने से पहले कमेटी ऐसे क्षेत्रों का दौरा करेगी, जहां बड़े पैमाने पर भांग की अवैध खेती होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भांग की खेती को कानूनी दर्जा दे रखा है। इसके अलावा उत्तराखंड ने भी औद्योगिक प्रयोग के लिए भांग की खेती हो रही है। उन्होंने कहा कि एनडीपीएस एक्ट में राज्य को भांग की खेती और इसे लाने-ले जाने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें औद्योगिक और बागवानी के उद्देश्य के लिए भी भांग की खेती कर सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भांग के यदि वास्तव में बहुत अच्छे औषधीय गुण है तो कमेटी के माध्यम से सरकार इन्हें ज्यादा अच्छे ढंग से समझ सकती है और आगे निर्णय ले सकती है।
इससे पहले संकल्प पेश करते हुए विधायक पूर्ण चंद ठाकुर ने कहा कि यदि सरकार भांग की खेती को कानूनी दर्जा देती है तो इससे ग्रामीण इलाकों में आर्थिकी का सुधार होगा और राज्य सरकार की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भांग की इस्तेमाल दवाओं में होता है और इससे कई उत्पाद भी तैयार होते हैं। उन्होंने कहा कि जब कई और राज्य इसे कानूनी दर्जा दे सकते हैं तो हिमाचल को भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि भांग की खेती को कानूनी दर्जा देने के लिए वह पहले भी आवाज उठाते रहे हैं और आज भी इसकी मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भांग के औद्योगिक और दवा उद्योग के लिए इस्तेमाल को मंजूरी मिलनी चाहिए।
है। प्रदेश विधानसभा ने वीरवार को हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय (राज्य के बालकों की देखरेख, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) विधेयक को मंजूरी दे दी। इसी के साथ अनाथ बच्चे अब चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट हो गए हैं और अब राज्य के छह हजार से अधिक अनाथ बच्चों का पूरा खर्च प्रदेश सरकार उठाएगी।
विधानसभा में इस विधेयक पर वीरवार को हुई चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने सुखाश्रय योजना के माध्यम से अनाथ बच्चों में दया का भाव दूर कर उन्हें अधिकार का भाव देना का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि सुखाश्रय योजना को कानून बनाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है, क्योंकि देश में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून के लिए पूरा बजट प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया है और इसकी शुरूआत 101 करोड़ रुपए के कोष के साथ की गई है।
सुक्खू ने विपक्ष के आरोपों पर कहा कि यह योजना न तो भारत सरकार की किसी योजना की नकल है और न ही यह योजना किसी के नाम पर रखी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के 6 हजार से अधिक अनाथ बच्चों का न केवल 27 वर्ष तक पालन पोषण करेगी, बल्कि उन्हें चार हजार रुपए मासिक पाकेट मनी भी देगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे बच्चों का उच्च शिक्षा के लिए भी सारा खर्च उठाएगी और 27 वर्ष पूरा करने के लिए ऐसे बच्चों को घर बनाने के लिए तीन बिस्वा जमीन के साथ-साथ घर बनाने के लिए पैसे भी देगी। उन्होंने कहा कि सुखाश्रय देश की ऐसी पहली योजना है, जिसमें चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को परिभाषित किया गया है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस योजना में अधिकार के भाव से अधिक राजनीतिक प्रभाव दिख रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के नाम से ऐसा लगता है कि मुख्यमंंत्री ने अपने ही नाम से योजना बना दी है। उन्होंने कहा कि इस कानून के अधिकांश प्रावधान पहले से ही केंद्रीय योजना में शामिल हैं।
—
हिमाचल में पानी की बर्बादी पर नहीं होगी जेल, 10 लाख रुपये देना होगा जुर्माना
शिमला, 06 अप्रैल । हिमाचल प्रदेश में भूजल स्त्रोत से हासिल होने वाले पीने योग्य पानी की बर्बादी या बेवजह इस्तेमाल करने पर अब किसी को भी जेल नहीं होगी, बल्कि भूजल का दुरूपयोग करने वालों को 10 लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने वीरवार को इस संबंध में हिमाचल प्रदेश भूगर्भ जल (विकास और प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण) विधेयक पारित किया। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इस विधेयक को पारित करने के लिए सदन में रखा और लंबी चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पास कर दिया।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून पुराना है और इसकी केवल धारा 21 में बदलाव किया जा रहा है और भूजल का दुरुपयोग करने पर अब पांच साल की कैद के बजाय सिर्फ जुर्माने का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि जुर्माने की राशि अधिकतम 10 लाख रुपए होगी।
उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी को इस कानून में शामिल नहीं किया गया है और पेयजल अथवा सिंचाई के लिए प्रयुक्त होने वाला पानी इस कानून के दायरे में नहीं आएगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कानून में इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करना है, क्योंकि कैद की सजा के प्रावधान के चलते बड़ी संख्या में उद्योगपति हिमाचल आने से कतरा रहे थे।
इससे पूर्व, विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधेयक को बहुत जल्दबाजी में लाया गया है और इसके नतीजे गंभीर होंगे। विधायक हंस राज ने कहा कि भूजल के दुरुपयोग पर उद्योगपतियों को दस लाख रुपये का जुर्माना कम है। उन्होंने कैद की सजा को बरकरार रखने और विधेयक को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की सलाह दी। विधायक सुखराम चौधरी ने असिंचित क्षेत्र को इस कानून से बाहर रखने की सलाह दी। विधायक विनोद कुमार ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है, उन्हें इस अधिनियम से बाहर रखा जाना चाहिए। विधायक डॉ. जनक राज ने आर्थिक जुर्माने के साथ-साथ ट्यूबवैल लगाने के लिए नियमों के सरलीकरण का सुझाव दिया।
……..
हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने की तैयारी
शिमला, 06 अप्रैल । हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को जल्द ही वैध किया जा सकता है। प्रदेश विधानसभा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सलाह पर इस मुद्दे पर विधायकों की कमेटी गठित करने की घोषणा की है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने विधायक पूर्ण चंद ठाकुर द्वारा प्रदेश में भांग के औषधीय गुणों को देखते हुए जनहित में दूसरे राज्यों की तर्ज पर भांग की खेती को वैध बनाने को लेकर नियम 101 के तहत लाए गए संकल्प पर हुई चर्चा के बाद कमेटी गठित करने की घोषणा की। यह कमेटी बागवानी व राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में गठित की गई है और विधायक हंस राज, मुख्य संसदीय सचिव सुंदर ठाकुर, विधायक पूर्ण ठाकुर और डॉ. जनक राज इस कमेटी के सदस्य होंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह कमेटी एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
इससे पूर्व, संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार भांग की पत्तियों और बीज के उपयोग पर पूरी जानकारी लेने के बाद कानून बनाने पर विचार करेगी। उन्होंने इसके लिए विधानसभा की एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कमेटी भांग के औषधीय गुणों और इसके उपयोग तथा दुरुपयोग पर एक माह के भीतर रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट देने से पहले कमेटी ऐसे क्षेत्रों का दौरा करेगी, जहां बड़े पैमाने पर भांग की अवैध खेती होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भांग की खेती को कानूनी दर्जा दे रखा है। इसके अलावा उत्तराखंड ने भी औद्योगिक प्रयोग के लिए भांग की खेती हो रही है। उन्होंने कहा कि एनडीपीएस एक्ट में राज्य को भांग की खेती और इसे लाने-ले जाने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें औद्योगिक और बागवानी के उद्देश्य के लिए भी भांग की खेती कर सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भांग के यदि वास्तव में बहुत अच्छे औषधीय गुण है तो कमेटी के माध्यम से सरकार इन्हें ज्यादा अच्छे ढंग से समझ सकती है और आगे निर्णय ले सकती है।
इससे पहले संकल्प पेश करते हुए विधायक पूर्ण चंद ठाकुर ने कहा कि यदि सरकार भांग की खेती को कानूनी दर्जा देती है तो इससे ग्रामीण इलाकों में आर्थिकी का सुधार होगा और राज्य सरकार की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भांग की इस्तेमाल दवाओं में होता है और इससे कई उत्पाद भी तैयार होते हैं। उन्होंने कहा कि जब कई और राज्य इसे कानूनी दर्जा दे सकते हैं तो हिमाचल को भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि भांग की खेती को कानूनी दर्जा देने के लिए वह पहले भी आवाज उठाते रहे हैं और आज भी इसकी मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भांग के औद्योगिक और दवा उद्योग के लिए इस्तेमाल को मंजूरी मिलनी चाहिए।
Leave a Reply