नाडा इंडिया ने किया स्वागत
प्रदेश के राजस्व में इजाफा होने के साथ तंबाकू सेवन पर लगेगा अंकुश
शिमला,05,मई,2023, गत 3 मई हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट द्वारा पारित फैसले में पान मसाला,पान चटनी तथा तंबाकू या तंबाकू उत्पादों पर सर्टन कैरेड वाया रोड्ज (सीजीसीआर) टेक्स को तीन रुपये से बढ़ाकार साढे चार रुपये प्रति क्विंटल करने का निर्णय किया जिसका प्रदेश में तंबाकू नियंत्रण में कई वर्षो से प्रयासरत नाडा इंडिया ने स्वागत किया है। नाडा इंडिया अपनी कई गतिविधियों के माध्यम से प्रदेश सरकार,स्वयं सेवी संगठनों तथा विशेषकर स्कूलों व कालेजों के युवाओं के माध्यम से तंबाकू उत्पादों पर टेक्स बढ़ाने के लिये केन्द्रीय वित्तीय मंत्रालय सहित हिमाचल प्रदेश व अन्य राज्यों में निरंतर आग्रह करती रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत बनानी है तो तंबाकू में टैक्स बढ़ाकर एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
कर्मवीर चक्र विजेता और नाडा इंडिया फाउंडेशन के चेयरपर्सन सुनील वात्स्यायन ने इस फैसले पर हर्ष जताते हुये कहा कि कोविड महामारी के आर्थिक संकट से उबर रहा हिमाचल प्रदेश के लिये कदम सार्थक साबित होगा। इस फैसले से न केवल राजस्व में इजाफा होने की उम्मीद जताई जा सकती है बल्कि तंबाकू सेवन करने वाले विशेषकर युवा वर्ग में इन उत्पादों को महंगा कर इसके सेवन पर अंकुश लगाया जा सकता है। गत वर्ष सिंतबर में नाडा इंडिया ने हिमाचल प्रदेश युनिवर्सिटी में स्वास्थ्य सेवायें निदेशालय,एचपीयू के अर्थशास्त्र विभाग तथा प्रदेश के राजस्व विभाग सहित इस दिशा मे प्रयासरत एनजीओ और बृद्धिजीवियों के सहयोग से संबंधित विषय पर मंथन पर हिमाचल प्रदेश टोबेको टेक्स कंसल्टेशन रिपोर्ट जारी कर सरकार को प्रस्ताव दिया था कि तंबाकू उत्पादों में तत्काल से कर बढ़ाये जायें। उन्होंनें बताया कि देश में लगभग 13 मिलियन से भी ज्यादा लोग सालाना तंबाकू से उत्पन्न बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं जबकि तंबाकू व नशाखोरी से ही दस मिलियन लोग इसकी लत में आकर गरीबी की और धकेले जाते हैं। । राज्य की दृष्टि से भी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। उनके अनुसार गत दस वर्षो में बीड़ी और सिगरेट बहुत ही किफायती उत्पाद बन गये हैं। जुलाई 2017 में जीएसटी के लागू होने से तंबाकू उत्पादों में खासा उछाल देखने को नहीं मिला जिसके चलते सभी वर्ग विशेषकर बच्चों तक की पहुंच में आ गये जो कि गहन चिंतन का विषय है। भारत में दुनिया में तंबाकू खपतकारों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या 268 मिलियन है। भारत में लगभग 27 फीसदी कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू है। 2017-18 में तंबाकू के उपयोग से होने वाली सभी बीमारियों और मौतों की वार्षिक आर्थिक लागत 177341 करोड़ रुपयें रहा जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का एक फीसदी है।
सुनील वात्सायान ने सुझाया कि हिमाचल प्रदेश ने इस फैसले से उदाहरण पेश करते हुये इस दिशा में प्रयासरत संगठनों का मनोबल बढ़ाया है। उन्होंने उम्मीद जताई की अन्य राज्य भी ऐसा ही उदाहरण पेश कर उन्नति की राह पर अग्रसर होने के साथ स्वास्थ्य प्रदेश की नींव रखेंगें।
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