हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के दयानंद स्कूल की इमारत पर खतरा मंडरा रहा है. यहां ओल्ड बस स्टैंड के नजदीक हो रहे काम की वजह से स्कूल की एक इमारत को खतरा हो गया है. स्कूल की मुख्य इमारत और यह दूसरी इमारत दोनों एक साथ जुड़ती हैं. ऐसे में मुख्य मार्ग पर भी लगातार खतरा मंडरा रहा है. यदि खतरे की जद में आई इमारत गिरती है, तो इससे स्कूल की मुख्य इमारत भी असुरक्षित हो जायेगा. इस बीच दयानंद स्कूल में पढ़ने वाले करीब 1 हजार 500 बच्चे डर के साए में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं. बच्चों के अभिभावक भी अपने बच्चों को लेकर खासे परेशान हैं.
दयानंद स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक मंगलवार को स्कूल की इमारत का हाल देखने के लिए पहुंचे अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से इस बारे में बात की. स्कूल की प्रिंसिपल ने अभिभावकों को बताया कि खतरे की जद में आई बिल्डिंग में कोई कक्षाएं नहीं हो रही है. व कॉन्ट्रेक्टर को काम भी अवार्ड कर दिया है, लेकिन मौके पर अभिभावकों ने पाया कि ये Retaning Wall के गिरने का प्रमुख कारण स्कूल के निचली तरफ PWD के कार्य में की गई खुदाई है, जिसकी वजह से बिल्डिंग का एक हिस्सा खतरे में आ गया है, ऐसे में अधिक हैरानी वाली बात ये है कि एक महीना बीत जाने पर भी कोई काम शुरू नहीं हो पाया है, जो कि निश्चित ही चिंता का विषय है। ऐसे में अभिभावकों ने प्रिंसिपल DPS व सरकार से माँग करते हैं कि Retaining Wall का काम युद्धस्तर पर किया जाए ताकि स्कूल बिल्डिंग की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकें।
और अगर इस कार्य में अधिक समय लगने की सम्भावना है, तो स्कूल प्रिंसिपल को वैकल्पिक जगह भी तलाशनी चाहिए, ताकि बच्चों की पढ़ाई का भी नुकसान न हो, जब तक ये काम नहीँ हो जाता अभिभावक चैन की नीँद नहीं ले पाएंगे, ये डर भी उन्हें लगातार सता रहा है।
अभिभावकों में  वीरेंद्र कुमार, रमेश ठाकर, योगेश वर्मा व मनीष ठाकुर मौजूद रहे ।

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