3000 से ज्यादा लोगों ने ग्रहण किया प्रसाद-जगमोहन
बी बी एन, 13 अप्रैल। प्रवीण शर्मा प्रचंड समय
बददी के बजट साईन उद्योग ने बैसाखी के अवसर पर आटो स्टैंड बददी पर विशाल लंगर का आयोजन किया। कंपनी यहां पर एक दशक से ज्यादा समय से हर साल बैशाखी का लंगर आयोजित करती है। कंपनी के संचालक जगमोहन सिंह व मनमोहन सिंह ने स्वयं अपने परिवार के साथ श्रद्वालुओं को लंगर परोसा और पूरे क्षेत्र की सुख स्मृद्वि की कामना की।
जगमोहन सिंह ने बताया कि पंजाब, हरियाणा व हिमाचल में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद खास है. बैसाखी रबी फसलों की कटाई का त्योहार भी है। साल 1699 को दसवें और अंतिम सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने केसधारी सिखों के एक विशेष समुदाय खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इतिहास में इस घटना ने विशेष मोड़ लिया था। बैसाखी उत्सव इसी की याद में मनाया जाता है। पंजाबी नव वर्ष बैसाखी के दिन से शुरू होता है। यह ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है, क्योंकि सर्दियां समाप्त हो रही हैं और गर्मियों का आगमन हो रहा है। इसके अलावा बैसाखी रबी फसलों की कटाई का त्योहार भी है। किसान अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं और खुशियां मनाते हैं। उन्होने बताया कि बैसाखी विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। यह भाईचारे और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। बैसाखी पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। बैसाखी सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. यह त्योहार भाईचारे, सामाजिक सद्भाव और समानता का प्रतीक है। उन्होने भंडारे में सहयोग देने के लिए नगर परिषद बददी, स्वराजमाजरा गांव,
आटो स्टैंड व टैक्सी स्टैंड का अभार जताया।
कैपशन-बददी में बजट साईन द्वारा आयोजित बैशाखी लंंगर में प्रसाद ग्रहण करते श्रद्वालुगण।
बी बी एन, 13 अप्रैल। प्रवीण शर्मा प्रचंड समय
बददी के बजट साईन उद्योग ने बैसाखी के अवसर पर आटो स्टैंड बददी पर विशाल लंगर का आयोजन किया। कंपनी यहां पर एक दशक से ज्यादा समय से हर साल बैशाखी का लंगर आयोजित करती है। कंपनी के संचालक जगमोहन सिंह व मनमोहन सिंह ने स्वयं अपने परिवार के साथ श्रद्वालुओं को लंगर परोसा और पूरे क्षेत्र की सुख स्मृद्वि की कामना की।
जगमोहन सिंह ने बताया कि पंजाब, हरियाणा व हिमाचल में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद खास है. बैसाखी रबी फसलों की कटाई का त्योहार भी है। साल 1699 को दसवें और अंतिम सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने केसधारी सिखों के एक विशेष समुदाय खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इतिहास में इस घटना ने विशेष मोड़ लिया था। बैसाखी उत्सव इसी की याद में मनाया जाता है। पंजाबी नव वर्ष बैसाखी के दिन से शुरू होता है। यह ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है, क्योंकि सर्दियां समाप्त हो रही हैं और गर्मियों का आगमन हो रहा है। इसके अलावा बैसाखी रबी फसलों की कटाई का त्योहार भी है। किसान अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं और खुशियां मनाते हैं। उन्होने बताया कि बैसाखी विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। यह भाईचारे और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। बैसाखी पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। बैसाखी सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. यह त्योहार भाईचारे, सामाजिक सद्भाव और समानता का प्रतीक है। उन्होने भंडारे में सहयोग देने के लिए नगर परिषद बददी, स्वराजमाजरा गांव,
आटो स्टैंड व टैक्सी स्टैंड का अभार जताया।
कैपशन-बददी में बजट साईन द्वारा आयोजित बैशाखी लंंगर में प्रसाद ग्रहण करते श्रद्वालुगण।
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